‘‘आप पारसी हैं क्या?’’, उसने मुस्कुराते हुए पूछा था।
शाम
के समय लगभग खाली विरार-चर्चगेट लोकल में वह विंडो सीट पर बैठकर दादर लौट रहा था।
बोरिवली से वह युवक ट्रेन में चढ़ा था और आकर उस जोड़े के सामने बैठा। पति-पत्नी साठ
के पेटे में होंगे। युवक के सामने आकर बैठने पर और लगातार देखने पर पति ने पहले
मुस्कुराहट फेंकी थी जिसके जवाब में युवक ने मुस्कुराकर उक्त सवाल दागा था।
पति
ने जवाब दिया, ‘‘अगर हैं भी तो क्या?’’
युवक
ने कहा, ‘‘मैंने यूं ही अंदाजा लगाया था। आपको
बुरा लगा हो तो मैं माफी चाहता हूं। वैसे ये मेरा पुराना शगल है मैं लोकल में अपने
आस-पास बैठे यात्रियों के बारे में अंदाजा लगाता हूं कि वह क्या करते होंगे, समाज के किस वर्ग से ताल्लुक रखते
होंगे, उनका जीवन कैसा चल रहा होगा आदि-आदि।’’
पति
ने पूछा, ‘‘आप ज्योतिषी हैं क्या?’’
युवक
ने कहा, ‘‘नहीं, ज्योतिषी भविष्य के बारे में बताता है। मैं अतीत और वर्तमान के बारे
में केवल तुक्का लगाता हूं जो कभी-कभी तीर बन जाता है।’’
अब
तक चुप बैठी पत्नी ने चुनौती भरे स्वर में युवक से कहा, ‘‘तो बताइये मेरे हसबैंड क्या काम करते
हैं?’’
युवक
ने पति की ओर देखते ही कहा,
‘‘आपका अपना व्यवसाय
होना चाहिए। मेरा गेस है होटल या रेस्तरां चलाते हैं आप।’’
पति
ने कहा, ‘‘आप यह कैसे कह सकते हैं?’’
युवक:
देखिए, पैसा कमाने के ज्यादातर तरीके ऐसे हैं
कि पैसा तो आदमी कमाता है पर तनाव से उसके चेहरे की रौनक छिन जाती है। आपके चेहरे
की चमक बता रही है कि आपको पैसा कमाने के लिए बहुत मेहनत-मशक्कत नहीं करनी पड़ती।
आपका जमा-जमाया व्यवसाय है और वह भी विरासत में मिला हुआ।
पति:
(चौंककर) कमाल है, यह आप कैसे कह सकते हैं? मैंने अपना बिजनेस खुद क्यों नहीं खड़ा
किया हो सकता?
युवक:
(मुस्कुराकर) सर, समय ऐसा है कि अपना व्यवसाय जमाने में
एक-दो पीढ़ियां तो खर्च हो ही जाती हैं। यह पेड़ लगाने जैसा ही है, पेड़ आप लगाते हैं तो फल आपकी आने वाली
पीढ़ियों को मिलता है।
पति:
तो आपके कहने का मतलब है कि रेस्तरां या जो भी मेरा बिजनेस है वो मेरे बापदादा का
शुरू किया हुआ है।
युवक:
ये मेरा अंदाजा ही है, जो गलत भी हो सकता है।
पत्नी:
आपका गेस बिल्कुल सही है। ये बांद्रा में फेमस ईरानी रेस्तरां ‘प्राईड ऑफ इंडिया’ के मालिक हैं।
युवक:
(विजयी अंदाज में) अगर इजाजत हो और साहब बुरा न मानें तो मैं आपके बारे में भी कुछ
बता सकता हूं।
पति-पत्नी:
(लगभग एक साथ) गो अहेड।
युवक:
यू आर ए वर्किंग वूमन।
पत्नी:
अभी-अभी तो आपने कहा कि मेरे हसबैंड का जमा-जमाया बिजनेस है। यानी मुझे पैसे की
कोई कमी नहीं है। फिर भला मुझे काम करने की क्या जरूरत है?
युवक:
मैम, काम सिर्फ पैसे के लिए नहीं किया जाता।
दूसरी बात अगर आप काम नहीं कर रही होतीं तो आप एक बोर हो चुकी हाउसवाईफ होतीं। पर
आपके चेहरे से कहीं बोरियत नहीं झलक रही। आपके चेहरे का ग्लो देखकर लगता है यू आर
ए हैप्पी पर्सन और यह खुशी उस आत्मसंतोष से आती है जो आपको कोई क्रिएटिव काम से
मिलता है।
पत्नी:
कुछ भी।
युवक:
अगर मैं गलत हूं तो मैं अपने अल्फाज वापस लेता हूं।
पति:
बट यू आर एब्सोल्यूटली राईट।
पत्नी:
तो आपके अनुसार मैं कोई क्रिएटिव काम करती हूं। क्या? किस फील्ड में?
युवक:
मेरे खयाल से या तो आप इंटीरियर डिजाइनिंग में हैं या फिर एंटरटेनमेंट की फील्ड
में।
पति:
दूसरी बात सही है।
पत्नी:
एंटरटेनमेंट फील्ड में मैं क्या करती हूं?
युवक:
आप प्रोड्यूसर हो सकती हैं।
पत्नी:
वह क्यों भला? मैं एक्टर, डायरेक्टर या राईटर क्यों नहीं हो सकती?
युवक:
बिकॉज़ यू आर अमंग दोज वूमन हू आल्वेज वांट्स टू रिमेन ऑन टॉप।
पति:
(एक्साईटेड) माइंड ब्लोइंग। तुम तो कमाल के आदमी हो।
पत्नी:
हमारे बारे में बहुत बहुत बातें हो गईं अब ये बताओ तुम करते क्या हो?
युवक:
उससे पहले मुझे एक और गेस मारने दीजिए, आपकी
लव लाईफ के बारे में।
पत्नी:
नहीं। हमारे बारे में तुम्हारे अब तक के सारे गेस सही साबित हुए हैं और हम नहीं
चाहते कि कोई गेस गलत हो।
पति:
लेट हिम गेस हनी।
युवक:
आपकी लव मैरिज हुई है और पहल मैडम ने की थी।
पत्नी:
आगे कुछ कहने से पहले जान लो हमारी शादी चालीस साल पहले हुई थी।
युवक:
स्टिल मेरा गेस है कि वह लव मैरिज ही थी और आप इनके पीछे पड़ी थीं, यह आपके नहीं।
पति:
मान गए भाई, तुमने जो कुछ कहा, सही कहा।
पत्नी:
अब तो बताओ तुम करते क्या हो?
युवक:
मैं लेखक हूं।
पति:
इसीलिए... ऑब्ज़र्व करना इज पार्ट ऑफ युअर प्रोफेशन।
युवक:
जी।
पत्नी:
हमारे लिए काम करोगे?
युवक:
क्या?
पत्नी:
हमारी फिल्म की कहानी लिखो। इन फैक्ट आई वाज लुकिंग फॉर ए राईटर।
युवक:
आपको कैसी कहानी चाहिए?
पत्नी:
जोनर कोई भी हो कहानी इंट्रेस्टिंग होनी चाहिए।
युवक:
ये कहानी चलेगी कि एक लेखक ट्रेन में एक कपल के साथ गेसिंग गेम शुरू करता है और वह
कपल फिल्म इंडस्ट्री से रिलेटेड निकलता है और लेखक को अपनी फिल्म लिखने के लिए
साइन कर लेता है।
पत्नी:
इसमें एक प्रॉब्लम है, ऑडियेंस के प्वाइंट ऑफ व्यू से सोचें
तो कहानी रियल नहीं लगती।
युवक:
पर क्या सच कल्पना से अनोखा नहीं हो सकता?
पत्नी:
हो सकता है। यहां तो हुआ भी है पर मुझे लगता है इसका एंड कुछ और होना चाहिए। थोड़ा
रियलिस्टिक।
युवक:
मैं आपको दूसरा एंड सजेस्ट कर सकता हूं पर आपको बुरा लग सकता है। मैं पहले वार्न
कर दूं कि वो पूरी तरह फिक्शनल है।
पति:
हां भाई ज्यादा सस्पेंस मत फैलाओ। बताओ एंड क्या है?
युवक:
लेखक कपल के बारे में पहले से जानता था।
पति:
ये कैसे हो सकता है?
पत्नी:
अगर वे लोग पहले मिल चुके हैं तो उन दोनों में से कोई उसे पहचानेगा नहीं?
युवक:
मैंने कहा लेखक उस कपल को जानता है, कपल
लेखक को नहीं। अब आप ही बताइए, आपका
रेस्तरां है, रोज सैकड़ों ग्राहक आते हैं क्या आप
सबको जानते हैं?
पति:
नहीं।
युवक:
लेकिन उनमें से कई लोग आपके बारे में जानते हो सकते हैं। है न। तो ये भी हो सकता
है न कि लेखक ने, जो आपके रेस्तरां में आता था, किसी वेटर से आपकी पिछली जिंदगी के
बारे में सब जान लिया एंड ही...
पत्नी:
टुक अस फॉर ए राईड?
युवक:
यस। ये फिल्म की कहानी का एंड होगा।
(तभी बांद्रा स्टेशन आने का अनाउंसमेंट
हुआ। कपल उठ खड़ा हुआ। पत्नी ने अपने पर्स से एक कार्ड निकाला और कहा, ‘‘साउंड्स इंट्रेस्टिंग, पर पता नहीं। अभी कुछ कह नहीं सकती।
हमारा स्टेशन आ रहा है। ये मेरा कार्ड है। आकर मिलो। कहानी ये हो सकती है या कुछ
और बट यू आर गोइंग टू राईट अवर मूवी।’’
और
युवक को कार्ड थमाकर पति-पत्नी बांद्रा स्टेशन पर उतर गये।
कुछ
दिन बाद...
वह ‘प्राईड ऑफ इंडिया’ रेस्तरां में बैठा चाय पी रहा था। उसने
चाय की आखिरी चुस्की ली और कप टेबल पर रखा फिर दूर खड़े एक वेटर को इशारा करते हुए
कहा, ‘‘बिल प्लीज।’’
वेटर
पास आया और उसने बिल थमाते हुए धीरे से पूछा, ‘‘आपका
काम हो गया साहब?’’
युवक
ने बिना कुछ कहे जेब से एक दो हजार रुपये का नोट निकाला और बिल के साथ रखा।
वेटर
बोला, ‘‘एक चाय के लिए दो हजार रुपये का नोट? छुट्टा कौन देगा?’’
युवक
ने वेटर को आंख मारकर कहा,
‘‘कीप द चेंज।’’ और उठकर सीटी बजाता हुआ रेस्तरां से
निकल गया।
-महेश राजपूत
(नोट:
यह कहानी 'दैनिक भास्कर' समूह की पत्रिका 'अहा! ज़िंदगी' के 26 फरवरी 2017 के अंक
में छपी है।)
Superb. V entertaining.
ReplyDeleteThought came to me as an idea for a short movie but as I knew I won't get any producers as in the past so I wrote it as a short story and sent for publication. It got published. Thanks for your encouraging comment.
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