फिल्लम समीक्षा/
फिल्लमची
फिल्म : अजब विकास
की गज़ब कहानी
लेखक-निर्देशक : नमो
एवं अशा
कलाकार : 123 करोड़
अभागे भारतीय और दो करोड़ लकी इंडियन
रेटिंग : * * * * * * *
आम तौर पर मैं किसी फिल्लम
की बुराई नहीं करता (इंटरवल में काफी, समोसा के साथ लिफाफा जो मिलता है) पर 'अजब
विकास की गज़ब कहानी' सचमुच एक अद्भुत फिल्लम है। फिल्लम एक साथ फंतासी भी है और
रीयलिस्टिक भी। फिल्लम में सारे मसाले हैं जैसे कॉमेडी, सस्पेंस, एक्शन, इमोशन,
रोमांस वगैरा वगैरा... फिल्लम की पटकथा कसी हुई है और संवाद धांसू। नटशैल में कहा
जाए तो फिल्लम पैसा वसूल है...
पहले फिल्लम की
कहानी की बात करते हैं। फिल्लम की कहानी कुछ यूं है कि दो जुड़वां हमशकल भाई रहते
हैं। दोनों का नाम विकास होता है। अब यह मत पूछियेगा कि दो जुड़वां हमशकल भाइयों का
नाम भी एक कैसे हो सकता है? गुलज़ार साब की 'अंगूर' नहीं देखी? उसमें दोनों संजीव
कुमार और दोनों देवेन वर्मा के किरदारों के नाम क्रमश: अशोक और बहादुर नहीं थे? तो
बात विकास के डबल रोल वाली फिल्लम की हो रही है। जैसा कि मनमोहन देसाईं साहब के
समय से परंपरा है, दोनों भाई बचपन में बिछुड़ जाते हैं। एक की किस्मत अच्छी है, वह इंडिया
पहुँच जाता है। दूसरा बदनसीब भाई भटकते-भटकते भारत पहुँच जाता है। इंडिया में
पहुंचा विकास जब एक दृश्य में भागते-भागते जवान हो जाता है तो दर्शक सीटियाँ बजाने
लगते हैं। आठ फुटा गभरू जवान! गज़ब की पर्सनालिटी। दूसरी तरफ भारत में पहुंचे विकास
की उम्र तो बढ़ती है पर आश्चर्यजनक रूप से उसका कद घटकर दो फुट (जब दोनों भाई जब
कुछ साल पहले बिछड़े थे तो दोनों का कद एक जितना ही यानी चार फुट था) रह जाता है।
अब आप ज़रूर कहेंगे किसीका कद कैसे घट सकता है? यह अवैज्ञानिक है, बड़ी हद किसीका कद
बढ़ेगा नहीं, घट कैसे जाएगा? पर इस फिल्म में ऐसा ही हुआ है और देखने पर ही आपको
पता चलेगा कि सबकुछ कितना लॉजिकल है। दरअसल जो इंडिया का हवा-पानी है वहां सब
लम्बे-चौड़े, बड़े सीने, कुछ-कुछ की तोंद भी बड़ी है पर इसके बावजूद बड़े सुंदर लोग
हैं लेकिन भारत का जो हवा-पानी है, वहां के लोग दुबले-पतले, मरियल, बौने, बदसूरत
हैं। इंडिया के लोग दिमाग से काम लेते हैं। क़र्ज़ के घी से दिये जलाकर दिवाली मनाते
हैं और विदेशों की तफरीह भी करते रहते हैं और कभी-कभी तो विदेश जाने के बाद लौटते
ही नहीं। दूसरी तरफ भारत के लोग 'इमोशनल फूल' होते हैं और दिमाग से काम नहीं लेते
इसलिए पिछड़े हुए हैं। एक फ्लैशबैक में यह भी दिखाया गया है कि इंडिया में कैसे
आक्रामक टीकाकरण अभियान चलाकर इंडियावासियों को ईमानदारी, देशभक्ति, धार्मिकता,
अंधविश्वास जैसी खतरनाक बीमारियों से मुक्ति दिलाई जा चुकी थी। लेकिन दूसरी तरफ
भारत के लोगों के बीच ऐसा कोई अभियान नहीं चला और यह बीमार ही बने रहे बल्कि इनका
इम्यून सिस्टम इतना ख़राब हो गया कि इनकी हालत 'मर्ज़ बढ़ता गया, ज्यों-ज्यों किया
इलाज' जैसी हो गयी, जिसके कारण वह भुगतते रहते हैं। इंडिया की आबादी कितनी यही कोई दो करोड़ धनपशु
होंगे! दूसरी तरफ भारत की आबादी 123-124 करोड़ गरीब-गुरबे। फर्क तो पड़ेगा ही। तो
इंडिया में विकास का विकास दिन दूना रात चौगुना हुआ और भारत में विकास और सिकुड़ता
गया। खैर तीन-चौथाई फिल्म में भारत के विकास पर फोकस भी नहीं किया गया है जोकि सही
भी है अन्यथा फिल्म काफी बोरिंग और कलात्मक हो जाती, इसके विपरीत स्क्रिप्ट के
केंद्र में इंडिया का विकास है इसलिए फिल्म बड़ी चटकीली, भड़कीली और मनोरंजक बन पड़ी
है। फिल्म का सबसे जानदार सीन दोनों विकास का आमना-सामना है! इस सीन में इंडिया का
विकास भारत के विकास पर पूरी तरह हावी है। वह उसे बताता भी है कि कैसे वह इतना बड़ा
हो गया और भारत का विकास कैसे इतना बौना हो गया। यह सीन फिल्म 'दीवार' के अमिताभ
बच्चन और शशि कपूर के बीच 'मेरे पास माँ हैं!" वाले सीन की याद दिला देता है।
अब एक-एक संवाद बताकर आपका मज़ा खराब नहीं करूंगा पर एक शानदार संवाद ज़रूर बताऊंगा
जिस पर दर्शक बहुत तालियाँ पीटते हैं। इंडिया वाला विकास भारत वाले विकास से कहता
है, "अपनी-अपनी किस्मत है तू भारत में है, मैं इंडिया में और यह ईमान-बेईमानी
की बात मत कर इंडिया ने तो पहले ही भारत से कहा था-तुम्हारा साथ हमारा
विकास!" आगे भारत वाले विकास ने दबी ज़बान में कहा, "लेकिन भाई, बात तो
सबके साथ और सबके विकास की थी!" पर यह संवाद दर्शक सुन ही नहीं पाते क्योंकि
तब तक भी वह इंडिया वाले विकास के संवाद पर तालियाँ और सीटियाँ बजा रहे होते हैं। तो
अगर आपने फिल्म अब तक नहीं देखी, जाकर देख लीजिये। फिल्म इंडिया के तमाम
मल्टीप्लेक्स और भारत के सिंगल स्क्रीन में चल रही है। जहाँ आपका मन करे देखिये,
पर देखिये ज़रूर!
#कोई नहीं जी! - 12/महेश
राजपूत
महेश जी टोरेंट लिंक दीजिए, तभी तो फिल्म देखेंगे।
ReplyDeleteफ़िलहाल सिनेमाघरों में चल रही है, नेट पर आते ही लिंक दे दूंगा! हेहेहे!
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