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Showing posts from July, 2017

ये विचार लेखक के अपने नहीं हैं!

कभी-कभी लगता है कि हम 'पल्ला झाड़ू' युग में जी रहे हैं, जहाँ सब समस्या या विवाद तो 'क्रियेट' करना जानते हैं, करते भी हैं पर फंसने पर उसे 'ओन' करना नहीं जानते। कोई भी, कोई भी यानी कोई भी अपने कहे-किये की जिम्मेवारी नहीं लेना चाहता। ज़रा सा विवाद हुआ कि वह उस विवादस्पद बयान/कार्य से पल्ला झाड़ लेता है यह कहकर कि ऐसा उसने कहा ही नहीं, उसकी बात को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया, उसका यह मतलब नहीं था या कि यह उसके निजी विचार थे/नहीं थे। आखरी बहाना इस पर निर्भर करता है कि उसकी जान किस सूरत में बच सकती है। बरसों पहले टीवी पर एक धारावाहिक में 'डिस्क्लेमर' देखा था, यह धारावाहिक ऐसा कोई दावा नहीं करता कि यह इतिहास दर्शा रहा है, धारावाहिक के सभी पात्र काल्पनिक हैं और इसका उद्देश्य सिर्फ मनोरंजन करना है वगैरह वगैरह।।। बाद में तो डिस्क्लेमर फैशन ही बन गया। फलां धारावाहिक का उद्देश्य बाल विवाह को बढ़ावा देना नहीं है, फलां धारावाहिक का उद्देश्य नारियों पर अत्याचार को बढ़ावा देना नहीं है, फलां धारावाहिक का उद्देश्य बच्चों के शोषण को बढ़ावा देना नहीं है, फलां धारावाहिक का उद...