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Showing posts from September, 2019

कंटीली तारों से घायल खबर : कश्मीर की सूचनाबंदी - 3

(एनडब्ल्यूएमआई-एफएससी रिपोर्ट) हमारी तहकीकात की प्रमुख बातें: सेंसरशिप और समाचारों पर नियंत्रण हालांकि कोई अधिकारिक सेंसरशिप या बैन लागू नहीं है पर संचार चैनलों की कमी और आवाजाही पर प्रतिबंधों के कारण पत्रकारों को समाचार जुटाने के निम्नलिखित क़दमों में समस्या आ रही है:        इन्टरनेट और फ़ोन बंद होने के कारण घटनाओं के बारे में जानकारी मिलने या संपर्कों और स्रोतों से जानकारी मिलने में       कहीं आ-जा न पाने के कारण, कुछ इलाकों में प्रवेश पर पाबंदियों से, समाचार जुटाना बाधित हो रहा है       खुद या गवाहों से पुष्टि करने से रोके जाने, आधिकारिक स्रोतों से जानकारी की पुष्टि करने से मना करने के कारण समाचारों की विश्वसनीयता से समझौते के खतरे हैं        संपादकों से ईमेल अथवा फ़ोन पर तथ्यों की पुष्टि के बारे में पूछे गए सवालों के जवाब न दे पाने के कारण या ख़बरों में सुधार न कर पाने के कारण ख़बरें छप नहीं पा रही हैं। केवल एक खबर मीडिया केंद्र में जाकर अपलोड करना काफी नहीं है यदि आप सवालों के जवाब देने के लिए उपलब्ध नहीं हैं ।        तनाव और संघर्ष के समय में खबर में सुधार न

कंटीली तारों से घायल खबर : कश्मीर की सूचनाबंदी - 2

(एनडब्ल्यूएमआई-एफएससी रिपोर्ट) गिरफ्तारियां, धमकियाँ और जांच त्राल से इरफ़ान मलिक पहले पत्रकार थे जिन्हें 5 अगस्त की बंदी के बाद हिरासत में लिया गया। यह स्पष्ट नहीं है कि उन्हें आखिर क्यों हिरासत में लिया गया। एक और पत्रकार क़ाज़ी शिबली को अनंतनाग से बंदी से पहले ही हिरासत में लिया गया था, संभवत: सैन्य बलों की   तैनाती के बारे में ट्वीट करने के कारण। पत्रकारों से पुलिस और जांच अधिकारियों ने कुछ संवेदनशील ख़बरों को लेकर पूछताछ की है और उन पर अपने स्रोत बताने का दबाव भी डाला गया है। कुछ प्रमुख अखबारों के संपादकों को भी दबी जुबां धमकी दी गयी है कि उनसे जांच अधिकारी पूछताछ कर सकते हैं। दबाव की नीतियां अपनाने का एक और उदाहरण वरिष्ठ   अंतर्राष्ट्रीय और   प्रतिष्ठित स्वतंत्र राष्ट्रीय मीडिया के साथ काम करने वाले पत्रकारों फ़याज़ बुखारी, एजाज़ हुसैन और नज़ीर मसूदी को प्रताड़ित करने के प्रयास में मौखिक रूप से सरकार की तरफ से दिया गया घर खाली करने को कहा गया है। स्तंभकार और लेखक गोहर गिलानी को 31 अगस्त को विदेश जाने से रोकना, कश्मीरी आवाजों को अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर पहुँचने से रोकने की ही

कंटीली तारों से घायल खबर : कश्मीर की सूचनाबंदी - 1

एनडब्ल्यूएमआई-एफएससी रिपोर्ट मुख्य निष्कर्ष : मीडिया पर बंदिशें और उसके निहितार्थ          सरकार या सुरक्षा बलों के प्रतिकूल मानी जाने वाली रिपोर्ट प्रकाशित करने वाले पत्रकारों पर निगरानी रखी जा रही है ,  उनसे अनौपचारिक  ' पूछताछ '  हो रही है और उन्हें परेशान किया जा रहा है          ज़मीन से पुष्ट की जा सकने वाली जानकारी को सोख दिया गया है          अस्पतालों समेत कुछ क्षेत्रों में आवाजाही पर पाबंदियां          प्रिंट प्रकाशनों के लिए उपलब्ध सुविधाओं पर नियंत्रण          अंतर्राष्ट्रीय और विश्वसनीय राष्ट्रीय मीडिया के तीन पत्रकारों को आबंटित सरकारी क्वार्टर खाली करने के मौखिक निर्देश          अधिकारिक रूप से कर्फ्यू न होने के बावजूद पाबंदियां ,  बंदी के लिए कोई सरकारी अधिसूचना नहीं          लैंडलाइन केवल कुछ इलाकों में काम कर रही हैं ,  प्रेस एन्क्लेव में नहीं ,  जहाँ अधिकांश अखबारों के कार्यालय हैं          ईमेल और फ़ोन पर संपादकों से प्लेबैक और पूछे गए सवालों, खासकर तथ्यों की पुष्टि के बारे में, के जवाब न दे पाने के कारण   राष्ट्रीय मीडिया में ख़बरें नहीं