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Showing posts from June, 2019

मशरूम मीडिया के शिकार हो गए आप!

(उपन्यास अंश) राहुल ने देखा ऑफिस में ताला लगा था। उसने इधर-उधर नज़र दौड़ाई, तभी ऑफिस ब्वॉय ने आकर उसे नमस्कार किया। वह पास में एक गुमटी के पास बैठकर चाय पी रहा था। ऑफिस में ताला क्यों बंद कर रखा है? ये भी भला कोई ताला बंद करने का समय...? राहुल अपनी बात पूरी करता उसके पहले ही ऑफिस ब्वॉय बोला- ...साहब ऑफिस तो खाली हो गया...। ऑफिस खाली हो गया... क्या मतलब? क्या बक रहे हो तुम?? राहुल की आवाज़ बहुत ऊंची हो गई थी। ...साहब... मेरा... मेरा मतलब था कि साहब ने ऑफिस खाली कर दिया...। ऑफिस ब्वॉय राहुल का गुस्सा देखकर डर गया था। कौन से साहब ने ऑफिस खाली कर दिया..? राहुल का स्वर और तेज़ हो गया।  एसपी साहब ने... अभी कुछ देर पहले तो ट्रक में सामान लादकर ले गए हैं। मैंने कुछ मज़दूरों के साथ सामान लोड करवाया है। वह चले गए तो मैं मज़दूरों के साथ बैठकर चाय पीने लगा। उसने गुमटी की तरफ इशारा करते हुए कहा, जहां कई लोग बैठे चाय पी रहे थे। राहुल को ऐसा लगा जैसे ज़मीन घूम रही हो। उसने खुद को संभाला और पूछा- एसपी भाई ने तुमसे क्या कहा...?? उन्होंने मेरा हिसाब कर दिया साहब...! उसने अपनी

बज़फीड पत्रकारों ने बगावत का बिगुल बजा दिया, पढ़िये क्यों?

कर्मचारी डिजीटल मीडिया में सबसे बड़ी श्रमिक यूनियन बनाने की कोशिश कर रहे हैं। -अलेक्सिया फर्नांडीज कैंपबेल बज़फीड न्यूज़ के पत्रकारों का सब्र जवाब दे रहा है। पिछले चार महीनों से  उन्होंने एक श्रमिक यूनियन गठन के पक्ष में वोट दिया था पर कंपनी ने अभी तक  उन्हें आधिकारिक रूप से स्वीकृति नहीं दी है। बज़फीड न्यूज़ यूनियन को मान्यता देने में कंपनी की देरी के विरोध में  दर्जनों कर्मचारी सोमवार अपना काम छोड़ चल दिये।  न्यू यॉर्क, सैन  फ्रैंसिस्को, वाशिंगटन डीसी और लॉस एंजेलिस में पत्रकारों ने कंपनी का  ध्यान आकर्षित करने के लिए दो बजे काम करना छोड़ दिया। वॉक्स से साझा के गई बज़फीड न्यूज़ यूनियन के एक बयान के अनुसार लोकप्रिय  समाचार वेबसाईट, जिसके अमेरिका में 200 से ज़्यादा पत्रकार हैं, के  प्रबंधक महीनों से यूनियन प्रतिनिधियों से लड़ रहे हैं कि कितने कर्मचारी  यूनियन में शामिल हो सकते हैं। यूनियन जिसका प्रतिनिधित्व न्यूज़गिल्ड ऑफ  न्यू यॉर्क कर रही है, का कहना है कि प्रबंधन उन कई कर्मचारियों को  यूनियन से दूर रखना चाहते हैं जिनके बारे में कि उनका दावा है कि वह  प्रबंधक हैं

दो कविताएं

सवाल करो! सवाल करो बवाल करो यूं खाली ना तुम मलाल करो जवान मर रहे किसान मर रहे अमीर बस अपनी तिजोरी भर रहे हुक्मरानों को ना बख्शो तुम अब जमीर अपना ना हलाल करो सवाल करो... आशीर्वाद की ओट में मांग रहे वे वोट हैं गिद्ध-नीति पर चल रहे लाशों को वे नोंच रहे इनको तुम बेहाल करो सवाल करो... न रोज़ी है न रोटी है अमन की तुक्का-बोटी है हिंदू-मुस्लिम दोनों पीड़ित कुछ तो इसका खयाल करो सवाल करो... (18 फरवरी 2019) ^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^ वाह अभिनंदन! आह अभिनंदन! पकड़ा गया तो कौन अभिनंदन? छोड़ा गया तो हमारा अभिनंदन! दिल्ली में पायलट प्रोजेक्ट! तमिलनाड में तुम्हारा अभिनंदन! पार्टी प्रचार में जीप से बंधा अभिनंदन भ्रष्टाचार, बेकारी की ढाल अभिनंदन वाह अभिनंदन! आह अभिनंदन! (अभिनंदन, इन वोट के सौदागरों को कभी माफ न करना क्योंकि ये अच्छी तरह से जानते हैं ये क्या कर रहे हैं।) (9 मार्च 2019)  (फेसबुक पर पोस्ट की यह कविताएं ब्लॉग के पाठकों के लिए पोस्ट कर रहा हूं।)