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Showing posts from August, 2019

कश्मीर और नोट बंदी फैसलों में समानताएं... और कुछ फर्क

आठ नवंबर 2016 को टीवी से अचानक नोटबंदी की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद की थी। पांच अगस्त 2019 को कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 5ए हटाने की घोषणा गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में की। दोनों घोषणाओं से पहले सरकार में भी (मंत्रियों-अफसरों, सहयोगी दलों या पार्टी में भी) कोई चर्चा की गई हो, ऐसा लगता नहीं है। उंगलियों पर गिनने लायक लोगों के बीच चर्चा हुई हो तो बात अलग है। नोटबंदी और कश्मीर से अनुच्छेद 370 व 35ए हटाने तथा जम्मू कश्मीर के विभाजन, जम्मू व कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाने, लद्दाख को ‘म्युनिसीपालिटी‘ बनाने के फैसले में समानताएं यहीं खत्म नहीं हो जातीं। काफी सारी समानताएं हैं दोनों फैसलों में। कुछ फर्क भी हैं। पर पहले समानताओं की बात कर लेते हैं। दोनों फैसले घोर जनविरोधी हैं। दोनों फैसले ‘तुगलकी‘ फरमान के रूप में सामने आए यानी जनता को कोई पूर्वाभास नहीं होने दिया गया, विश्वास में तो लेने की खैर कोई बात ही नहीं है। दोनों फैसलों में आंतकवाद मिटाने को एक बहाना बनाया गया। नोट बंदी के समय जहां काला धन, भ्रष्टाचार और जाली करंसी समाप्त करने की बात सामने थी और आतंकवाद, नक्सलव

सबका नंबर आएगा...!

एडिटर्स गिल्ड को एक बयान जारी करना पड़ा है कि कश्मीर में मीडिया (स्थानीय मीडिया समेत) को काम करने दिया जाए। पांच दिन से कश्मीर देश से कटा हुआ है। कश्मीर में वास्तविक स्थिति की खबर ना बाहर आ रही है और ना कश्मीर में बाहर से खबर अंदर जाने दी जा रही है। अंतरराष्ट्रीय मीडिया और कुछेक संस्थानों (समाचार पोर्टलों समेत) से प्रतिरोध/विरोध की खबरें आ रही हैं, सरकारी तत्व और बीजेपी उन्हें अफवाह और कुप्रचार करार दे रहे हैं। कुछ सकारात्मक खबरें आ रही हैं तो विरोधी कह रहे हैं कि यह खबरें सरकार प्लांट करवा रही है, जोकि पूरी तरह गलत भी नहीं है। दरअसल, युद्ध के समय भी मीडिया (अंतरराष्ट्रीय मीडिया समेत) को एक्सेस दिया जाता है, ऑफिशियल ब्रीफिंग होती है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आपकी छवि खराब ना हो, इसलिए। क्या कश्मीर में कोई युद्ध चल रहा है? नहीं! फिर यह सरकार ऐसा क्यों कर रही है? क्योंकि उसे पता है कि मीडिया के एक बड़े हिस्से को मैनेज किया जा सकता है। पुलवामा हमले और बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद वह ऐसा सफल प्रयोग कर चुकी है। कथित मुख्यधारा के मीडिया के एक बड़े हिस्से को सरकार ने कैरेट एंड स्टिक नीति अ