Skip to main content

Posts

Showing posts from March, 2018

पैसा वसूल फिल्लम है "अजब विकास की गज़ब कहानी!"

      फिल्लम समीक्षा/ फिल्लमची   फिल्म : अजब विकास की गज़ब कहानी लेखक-निर्देशक : नमो एवं अशा कलाकार : 123 करोड़ अभागे भारतीय और दो करोड़ लकी इंडियन रेटिंग : * * * *   *   *   *     आम तौर पर मैं किसी फिल्लम की बुराई नहीं करता (इंटरवल में काफी, समोसा के साथ लिफाफा जो मिलता है) पर 'अजब विकास की गज़ब कहानी' सचमुच एक अद्भुत फिल्लम है। फिल्लम एक साथ फंतासी भी है और रीयलिस्टिक भी। फिल्लम में सारे मसाले हैं जैसे कॉमेडी, सस्पेंस, एक्शन, इमोशन, रोमांस वगैरा वगैरा... फिल्लम की पटकथा कसी हुई है और संवाद धांसू। नटशैल में कहा जाए तो फिल्लम पैसा वसूल है...    पहले फिल्लम की कहानी की बात करते हैं। फिल्लम की कहानी कुछ यूं है कि दो जुड़वां हमशकल भाई रहते हैं। दोनों का नाम विकास होता है। अब यह मत पूछियेगा कि दो जुड़वां हमशकल भाइयों का नाम भी एक कैसे हो सकता है? गुलज़ार साब की 'अंगूर' नहीं देखी? उसमें दोनों संजीव कुमार और दोनों देवेन वर्मा के किरदारों के नाम क्रमश: अशोक और बहादुर नहीं थे? तो बात विकास के डबल रोल वाली फिल्लम की हो रही है। जैसा कि मनमोहन देसाईं साहब के समय से प

हदिया को न्याय तो मिला पर देर से और अधूरा...

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर सर्वोच्च न्यायालय ने आखिर हदिया की शादी रद्द करने के केरल उच्च न्यायलय के फैसले को खारिज किया और शेफी जहाँ से हदिया के निकाह को बहाल किया जो निश्चित रूप से हदिया के लिए और पुरुष प्रधान समाज में अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रही लाखों महिलाओं के लिए ही नहीं व्यक्ति की स्वतंत्रता और अमनपसंद लोगों के लिए राहत की बात है। लेकिन , इस पूरे प्रकरण का अफसोसजनक पहलू यही है कि हदिया को न्याय देरी से मिला है और अधूरा भी। हदिया जो पहले अखिला कहलाती थीं , ने 2016 में इस्लाम कबूल किया था। कुछ महीने बाद उन्होंने शेफी जहाँ से शादी की। उनके पिता अशोकन अदालत में चले गए और आरोप लगाया कि उनकी बेटी का ' ब्रेनवाश ' किया गया है और धर्म परिवर्तन से लेकर निकाह एक ' साज़िश ' के तहत हुआ है ।  केरल उच्च न्यायालय ने एक अजीबोगरीब फैसले में शादी को रद्द करते हुए कहा , "एक 24 वर्षीय लड़की कमज़ोर और बरगलाने लायक होती है और उसे कई तरीकों से फुसलाया जा सकता है।" अदालत ने यह भी कहा , "शादी जीवन का अति महत्वपूर्ण फैसला होने के कारण अभिभावकों की सक्रिय संल

पीएम भक्ति पुरस्कार योजना के लिए प्रविष्टियाँ आमंत्रित!

उस दिन अचानक "टाइम्स ऑफ़ भक्ति" में छपे इस विज्ञापन पर नज़र पड़ गयी जिसे साझा करने का लोभ संवर न पाया और इसीलिए यहाँ मितरों की सुविधा के लिए विज्ञापन ज्यों का त्यों (माइनस लेआउट) रिप्रोड्यूस कर रहा हूँ। हेडलाइन : पीएम भक्ति पुरस्कार योजना के लिए प्रविशितियाँ आमंत्रित बॉडी : मुस्कुराते पीएम की तस्वीर मितरो, भक्तों के लिए भक्तों की और भक्तों द्वारा सरकार ने भक्तों के लिए निम्नलिखित श्रेणियों में पुरस्कारों के लिए प्रविष्टियाँ आमंत्रित की हैं: भक्त, सुपर भक्त, सुपर-डुपर भक्त, भक्तों का भक्त, सबसे बड़ा भक्त, इंटरनेशनल भक्त, भक्तश्री, भक्त भूषण और भक्त रत्न! चूंकि हम वसुधैव कुटुम्बकम के विचार में विश्वास करते हैं इसलिए इस पुरस्कार के लिए देश ही नहीं दुनिया के किसी कोने से कोई भी प्रविष्टि भेज सकता है। बस हाँ/नहीं में जवाब दिए जाने वाले निम्नलिखित चार सवालों के जवाब अपने आप से पूछिए। यदि सभी यानी चारों सवालों के आपके जवाब हाँ में हैं तो आप आवेदन कर सकते हैं। आगे बढ़ने से पहले पेश हैं सवाल: 1. क्या आप वर्तमान पीएम को विश्व का महानतम और सर्वकालिक श्रेष्ठ पीएम मानते हैं?

कभी फ़कीर! कभी चौकीदार!

"जमूरे..." "उस्ताद!" "बताएगा?" "बताएंगा उस्ताद!" "जो पूछेगा बताएगा?" "जो पूछेंगा बताएंगा उस्ताद!" "सच-सच बताएगा?" "सच ही बताएंगा उस्ताद! सच के सिवा कुछ नहीं बताएंगा! श्रीदेवी की कसम!" "अबे झूठी कसम खाता है? श्रीदेवी तो मर चुकी है..." "जब तक अपुन जैसा एक भी फैन जिन्दा है न उस्ताद, श्रीदेवी कभी मर नहीं सकती। वह हमारे दिलों में हमेशा वास्ते जिन्दा रहेंगी..." "बस, बस! बड़ा आया श्रीदेवी का फैन। बता चौकीदार का काम क्या होता है?" "यह भी कोई पूछने की बात है उस्ताद? चौकीदार का काम है चौकीदारी करना! घर की रखवाली करना..." "और अगर घर में चोरी हो जाए तो..." "तो चौकीदार को बदल देना चाहिए..." "गुड! अब बता चोरी हो गयी। चौकीदार को बदल दिया गया। पर चोरों का घर में आना-जाना लगा रहा तो क्या करना चाहिए?" "ऐसा कैसे हो सकता है उस्ताद? घर के लिए चौकीदार है तो चोर कैसे आना-जाना करेंगा?" "अबे सवाल के बदले में

मध्य प्रदेश कांग्रेस: यह टिकट का सौदा नहीं तो और क्या है?

यह ठीक है कि मध्यप्रदेश विधानसभा के मुख्य चुनाव से पहले उप-चुनावों में इंडियन नेशनल कांग्रेस लगातार जीत हासिल कर रही है ; पहले अटेर व चित्रकूट और अब मुंगावली व कोलारस विधानसभा। लेकिन लगता है पूरे देश में लोकसभा और विधानसभा चुनावों के दौरान पराजय का हथौड़ा झेलते-झेलते कांग्रेस का माथा फिर गया है। वह लोकतंत्र की प्रस्थापना को ताक पर रखने के साथ-साथ इस बात को भी बिसरा चुकी है कि भारतवर्ष में लोकतंत्र बहाली की लड़ाई कांग्रेस की अगुवाई में ही लड़ी गई थी इसलिए इसकी मर्यादा और भावना बचाने में उसकी जिम्मेदारी कहीं ज्यादा है। लेकिन लोकतंत्र की मूलभावना के उलट मध्य प्रदेश में 15 सालों से सत्ता का वनवास काट रही कांग्रेस ने अब इच्छुक उम्मीदवारों से पैसा वसूलने का ऐलान कर दिया है। यह टिकट का खुल्लमखुल्ला सौदा नहीं तो और क्या है ? मध्यप्रदेश कांग्रेस प्रभारी दीपक बावरिया ने फरमाया है- “राज्य में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी का टिकट मांगने वालों से 50,000 रूपए पार्टी कोष में जमा कराए जाएंगे जबकि महिलाओं , अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों को 50% की रि