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Showing posts from January, 2020

सीएए नागरिकता छीनने वाला नहीं नागरिकता देने वाला कानून है!

-सीएए पर देश में बवाल मचा हुआ है, थोड़ा विस्तार से बताएंगे कि सीएए है क्या बला? -सीएए नागरिकता छीनने वाला नहीं, नागरिकता देने वाला कानून है़। -फिर सीएए का एक महीने से देशव्यापी विरोध क्यों हो रहा है? -सीएए नागरिकता छीनने वाला नहीं नागरिकता देने वाला कानून है। -यह तो मेरे सवाल का जवाब नहीं हुआ? -सीएए नागरिकता छीनने वाला नहीं नागरिकता देने वाला कानून है। -अच्छा एनआरसी से सीएए का क्या संबंध है? -सीएए नागरिकता छीनने वाला नहीं नागरिकता देने वाला कानून है। -एनपीआर से इसका कोई संबंध है या नहीं, या फिर एनपीआर का एनआरसी से संबंध हो? दरअसल जनता में कन्फ्यूज़न है, जो आप दूर कर सकते हैं... -सीएए नागरिकता छीनने वाला नहीं, नागरिकता देने वाला कानून है। -ओके। ये शाह साहब की क्रोनोलॉजी हमें समझ नहीं आई। आप समझाएंगे तो मेहरबानी होगी... -सीएए नागरिकता छीनने वाला नहीं, नागरिकता देने वाला कानून है। -सीएए के तहत जब अफ़ग़ानिस्‍तान, पाकिस्‍तान और बांग्‍लादेश के प्रताड़ित धार्मिक अल्‍पसंख्‍यकों को सुरक्षा देने की कोशिश की ही जा रही है तो फिर उन्‍हीं देशों के बलूच, अहमदिया और शिया जैसे अन्‍य प्रताड़ित धार्म

हमें ‘छपाक‘ नहीं देखनी, नहीं देखनी, नहीं देखनी!

 -आप ‘छपाक‘ का विरोध कर रहे है? -हां। करते हैं और अंतिम सांस तक करते रहेंगे। -क्यों फिल्म बहुत बुरी है? -हमारे लिये बुरी है। -क्यों? फिल्म अश्लीलता को बढ़ावा देती है? -नहीं। -तो क्या हिंसा को बढ़ावा देती है? -नहीं। -फिर तो जरूर इसमें अंडरवर्ल्ड का पैसा लगा होगा? -ऐसी अफवाह तो थी पर पुष्टि नहीं हो सकी। -कहीं फिल्म में कोई पाकिस्तानी कलाकार तो नहीं है? -नहीं। -या कोप्रोडक्शन हमारे ‘एनीमी नंबर टू‘ चीन की किसी फिल्म कंपनी ने किया हो? -हमें नहीं पता। -अच्छा। अब समझा। वो फिल्म में मुस्लिम खलनायक का नाम हिंदू कर दिया था, ऐसी खबर आई थी। क्या वह खबर है आपके गुस्से का कारण। -नहीं। वह तो अफवाह निकली। -फिर आप फिल्म का विरोध क्यों कर रहे हैं? -उसमें दीपिका पादुकोण है। -क्यों? क्या वह बुरी अभिनेत्री हैं? -नहीं। -तो फिर? उन्होंने आपका क्या बिगाड़ा है? -वह जेएनयू गई थीं। -जेएनयू बोले तो? -जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय। -विश्वविद्यालय? वहां दीपिका के जाने से क्या प्रॉब्लम है? -वह ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग‘ का अड्डा है? -तो दीपिका क्या वहां किसी गैंग में शामिल होने गई थीं? -ऐसा उन्होंने कहा तो नहीं। उन्होंने

सीएए, एनआरसी, एनपीआर के बीच कोई संबंध नहीं है जी!

-आपने कहा था, एक सौ तीस करोड़ देशवासी सीएए पर आपके साथ हैं। -बिलकुल हैं जी। फैसला ही उनका है। आखिर, सरकार और संसद उन्हीं की तो है। -तो फिर विरोध करने वाले कौन हैं? -कांग्रेसी, अर्बन नक्सल, देशद्रोही तत्व हैं जी। -आप कहना चाहते हैं कि विरोध प्रदर्शन करने वाले लाखों छात्र, युवा, महिलाएं कांग्रेसी, अर्बन नक्सल, देशद्रोही तत्व हैं? -नहीं जी। विरोध प्रदर्शनों को उकसाने वालों की बात कर रहा था मैं। अधिकांश प्रदर्शनकारियों को तो पता भी नहीं वह प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं। उन्होंने कानून ठीक से पढ़ा भी नहीं। -आपने पढ़ा? -ऑफ द रिकॉर्ड मानें तो पढ़ा तो ठीक से मैंने भी नहीं। -अच्छा, यह बताइये क्या यह प्रदर्शनकारी एक सौ तीस करोड़ के अतिरिक्त हैं? -नहीं जी। एक जर्मन स्टूडेंट था, एक कोरियाई लेडी थी, उन्हें तो हमने वापस उनके देश भेज दिया। -इसका मतलब है कि प्रदर्शनकारियों की संख्या को एक सौ तीस करोड़ में से माइनस करना चाहिये, तभी पता चलेगा कि कानून के समर्थन में कितने लोग हैं। नहीं? -नहीं जी। जैसाकि मैंने आपको बताया, ये गुमराह लोग हैं। अफवाहों पर विश्वास करने वाले। -अफवाहें बोले तो