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Showing posts from October, 2020

वोट दो, वैक्सीन लो!

-तो कोरोना वैक्सीन बिहार के सभी लोगों को मुफ्त में लगाएंगे?  -पार्टी का बिहार चुनाव के लिए घोषणापत्र तो यही कहता है।  -बाकी देशवासियों को नहीं लगाएंगे?  -हमने तो ऐसा नहीं कहा।  -मुफ्त में नहीं लगाएंगे?  -हमने ऐसा भी नहीं कहा।  -अच्छा, सबसे पहले बिहारवासियों को लगाएंगे?  -आप बड़े बदमाश हैं। बिहार बनाम भारत का मुद्दा बना रहे हैं। हम कोरोना जैसे संवेदनशील मुद्दे पर राजनीति नहीं करते।  -गुस्सा न करिये। बिहार में टीका लगाने का क्रम क्या होगा?  -ये कैसा सवाल है?  -सबसे पहले उन्हें लगेगा जिन्होंने बीजेपी को वोट दिया?  -यह शरारतपूर्ण सवाल है। “हैव यू स्टॉप्ड बीटिंग युअर वाईफ?“ टाइप। मैं इसका जवाब नहीं देने वाला। -फिर जेडीयू के वोटर। उसके बाद एलजेपी के?  -व्हाट नॉनसेंस? सरकार सभी के लिए होती है, सिर्फ सत्तारूढ़ पार्टी या गठबंधन के वोटरों के लिए नहीं। जैसे हमारे पीएम सभी १२५ करोड़ देशवासियों के पीएम हैं, केवल ६०० करोड़ मतदाताओं के नहीं।  -बिलकुल। इसीलिए मैं पूछना चाहता था कि उन बिहार वासियों का क्या होगा जो आपको वोट नहीं देंगे? ...

“हम पब्लिक ओपीनियन के खिलाफ नहीं जा सकते!“

  "हम पब्लिक ओपीनियन के खिलाफ नहीं जा सकते। अखबार का सर्कुलेशन गिरकर जो अब है उसका 25 फीसदी  हो जाएगा और आर्थिक नुकसान हम सह नहीं पाएंगे।" डॉक्टर अशोक गुप्ता के लेख को छापने से मना करते हुए कहता है 'जनवार्ता' का संपादक। सामने डॉक्टर भी है और अखबार का मुद्रक प्रकाशक भी और स्थानीय नगरपालिका का अध्यक्ष भी, जो डॉक्टर का छोटा भाई है पर लेख छापे जाने के खिलाफ है क्योंकि उससे चांदीपुर कस्बे की बदनामी होगी। मामला यह है कि डॉक्टर ने कस्बे के प्रमुख आकर्षण यानी प्रसिद्ध मंदिर के चरणामृत में बैक्टीरिया पाये जाने की पुष्टि की है और अगर यह बात तुरंत जनता की जानकारी में नहीं लाई गई और प्रशासन ने मंदिर को जलापूर्ति वाली पाइपलाइन ठीक नहीं की तो प्रदूषित जल से लोगों में फैल रही पीलिया की बीमारी महामारी का रूप ले सकती है। लेकिन मंदिर निर्माण करने वाले, जो सेठ भी हैं और प्रभावशाली हैं, यह नहीं मानते। उनका मानना है कि चरणामृत दूषित हो ही नहीं सकता क्योंकि उसमें गंगाजल और तुलसी के पत्ते मिले हैं। यह सब लोग मिलकर 'नास्तिक' डॉक्टर पर लोगों की धार्मिक भावनाओं को चोट पहु...