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Showing posts from March, 2019

वास्तविक भीमा कोरेगांव षड्यंत्र

                                                (Image and write-up courtesy : Raiot)     -फ्रेनी माणेकशॉ वरिष्ठ नेता और पूर्व ट्रेड यूनियनिस्ट जॉर्ज फर्नांडीस की इस साल मौत हुई, तो कई लेखकों ने आपातकाल के उनके दिनों और बड़ौदा डायनामाईट षड्यंत्र मामले का ज़िक्र किया जो उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण अध्याय था। फर्नांडिस को, बता दें, पुल व महत्वपूर्ण रेल व सड़क सुविधागत ढांचे को उड़ाने के लिए डायनामाईट छड़ें जुटाने के कथित षड्यंत्र के लिए जून 1976 में गिरफ्तार किया गया था। केंद्रीय जांच ब्यूरो ने मामले की जांच में फर्नांडीस को  षड्यंत्र का ‘मास्टरमाइंड‘ और आरोपी नंबर एक दिखाया गया था। ट्रेड यूनियन नेता ने आरोप लगाया कि सीबीआई ने आरोप गढ़े हैं और बाद में जब जनता सरकार बनी तो उनके व अन्य आरोपियों के खिलाफ मामला वापस लिया गया। असहमति को कुचलने...

चोरी तो हुई ही नहीं न...!

-हमारे पास कागज़ात नहीं हैं, हुजूर। कागज़ात चोरी हो गये। -कैसे? -हम जांच कर रहे हैं। चोरों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे। -हुजूर गलती से मिश्टेक हो गई। कागज़ात हमारे पास ही हैं। -तो क्या चोरों को चोरी के बाद डर लगा और कागज़ात वापस रख गये? -नहीं। चोरी तो हुई नहीं न। -तो ये कौनसे कागज़ात हैं? क्या ये 'वो' कागज़ात नहीं हैं? -हैं तो वही। ये फोटो कॉपी हैं। -किसने की फोटो कॉपी? -पता लगाया जा रहा है। -कैसे हुई फोटो कॉपी? कागज़ात चुराकर? -नहीं, चोरी तो हुई नहीं न -तो फोटो कॉपी चोरी हुई? -नहीं, चोरी से फोटो कॉपी हुई। -चोरी से फोटो कॉपी की गई और ओरिजनल व फोटो कॉपी वहीं रख दी गई अपनी जगह पर? -नहीं, फोटो कॉपी वहीं रख दी जाती तो हमारे पास एक्स्ट्रा कॉपी न हो जाती? और एक्स्ट्रा कॉपी हो जाती तो हमें पता न चलता? -यानी वह आपसे फोटो कॉपी मांगकर ले गये? -नहीं, मांगते किससे? और देता कौन? -इसका मतलब वह फोटो कॉपी चुराकर ले गये -नहीं, चोरी तो हुई नहीं न... -तो कागज़ात उड़कर उनके पास पहुंच गये? -उड़कर कैसे पहुंचेंगे? क्या कागज़ उड़ना जानते हैं? -तो फिर काग...