-हमारे पास कागज़ात नहीं हैं, हुजूर। कागज़ात चोरी हो गये।
-कैसे?
-हम जांच कर रहे हैं। चोरों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे।
-हुजूर गलती से मिश्टेक हो गई। कागज़ात हमारे पास ही हैं।
-तो क्या चोरों को चोरी के बाद डर लगा और कागज़ात वापस रख गये?
-नहीं। चोरी तो हुई नहीं न।
-तो ये कौनसे कागज़ात हैं? क्या ये 'वो' कागज़ात नहीं हैं?
-हैं तो वही। ये फोटो कॉपी हैं।
-किसने की फोटो कॉपी?
-पता लगाया जा रहा है।
-कैसे हुई फोटो कॉपी? कागज़ात चुराकर?
-नहीं, चोरी तो हुई नहीं न
-तो फोटो कॉपी चोरी हुई?
-नहीं, चोरी से फोटो कॉपी हुई।
-चोरी से फोटो कॉपी की गई और ओरिजनल व फोटो कॉपी वहीं रख दी गई अपनी जगह पर?
-नहीं, फोटो कॉपी वहीं रख दी जाती तो हमारे पास एक्स्ट्रा कॉपी न हो जाती? और एक्स्ट्रा कॉपी हो जाती तो हमें पता न चलता?
-यानी वह आपसे फोटो कॉपी मांगकर ले गये?
-नहीं, मांगते किससे? और देता कौन?
-इसका मतलब वह फोटो कॉपी चुराकर ले गये
-नहीं, चोरी तो हुई नहीं न...
-तो कागज़ात उड़कर उनके पास पहुंच गये?
-उड़कर कैसे पहुंचेंगे? क्या कागज़ उड़ना जानते हैं?
-तो फिर कागज़ात सार्वजनिक होने का एक ही तरीका बचता है!
-क्या हुजूर?
-कागज़ात रद्दी में किसी मूंगफली वाले को बेच दिये गये हों...
-हां, ये हो सकता है। कौन नहीं होगा जिसने स्कूल के दिनों में मुट्ठी भर मूंगफली के लालच में रफ नोटबुक ना बेची हो?
-आपने बेची थी?
-हेहेहे। कैसी बात करते हैं हुजूर?
-पर फिर इससे एक और सवाल उठता है?
-क्या?
-मूंगफली वाले को ओरिजनल बेची गई या फोटो कॉपी?
-ओरिजनल तो हमारे पास है।
-तो फोटो कॉपी बेची गई?
-यही लगता है।
-तो मूंगफली वाले को बेचने के लिये फोटो कॉपी चुराई गई?
-हुजूर, चोरी तो हुई नहीं न...!
-इसका मतलब है कि मूंगफली वाले को बेचने के लिये ही फोटो कॉपी कराई गई?
-ऐसा कौन करेगा?
-यह आप बताइये।
-पता करना पड़ेगा।
-तो जाइये, पता लगाइये और बताइये।
#दिमाग का दही़-1 -महेश राजपूत
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