वह हर मायनेे में सबसे अलग पार्टी थी। इसलिए, हर चुनाव को गंभीरता से लेती थी चाहे वह गली-मोहल्ले का चुनाव हो या फिर किसी प्रांत या देश का। हर चुनाव में वोट पार्टी, देश और विश्व के सबसे लोकप्रिय नेता के नाम पर ही मांगे जाते थे औेर अक्सर पार्टी जीत भी जाती थी या हार में भी जीत देख लेती थी। जैसे सीटें कम हुईं तो बढ़े हुए वोट प्रतिशत से खुश हो लेती। वोट प्रतिशत कम हुआ हो तो प्रत्याशियों के हार के अंतर को हाईलाईट किया जाता। कुल मिलाकर पार्टी में कभी किसी चुनाव में हार का ठीकरा किसीके सिर फोड़ने की नौबत लगभग नहीं ही आई थी। ऐसे में एक मिनी प्रांत में पार्टी की बेहद बुरी हार हुई। एक एसयूवी में भरकर विधानसभा भेजने लायक संख्या में इसके प्रतिनिधि चुने गये यानी दहाई का आंकड़ा भी नहीं छुआ और जहां तक वोट प्रतिशत का मामला है तो मिनी प्रांत के पिछले चुनाव के मुकाबले तो यह ज्यादा था, जो सुकून वाली बात थी लेकिन कुछ समय पहले हुए देश के चुनाव में इसी क्षेत्र से मिले वोटों के मुकाबले यह संख्या काफी कम थी। पार्टी सदमे में थी। ट्विटर पर अति सक्रिय रहने वाले नेताओं की उंगलियों को जैसे करंट लग गया था। पार्टी के...