वह हर मायनेे में सबसे अलग पार्टी थी। इसलिए, हर चुनाव को गंभीरता से लेती थी चाहे वह गली-मोहल्ले का चुनाव हो या फिर किसी प्रांत या देश का। हर चुनाव में वोट पार्टी, देश और विश्व के सबसे लोकप्रिय नेता के नाम पर ही मांगे जाते थे औेर अक्सर पार्टी जीत भी जाती थी या हार में भी जीत देख लेती थी। जैसे सीटें कम हुईं तो बढ़े हुए वोट प्रतिशत से खुश हो लेती। वोट प्रतिशत कम हुआ हो तो प्रत्याशियों के हार के अंतर को हाईलाईट किया जाता। कुल मिलाकर पार्टी में कभी किसी चुनाव में हार का ठीकरा किसीके सिर फोड़ने की नौबत लगभग नहीं ही आई थी। ऐसे में एक मिनी प्रांत में पार्टी की बेहद बुरी हार हुई। एक एसयूवी में भरकर विधानसभा भेजने लायक संख्या में इसके प्रतिनिधि चुने गये यानी दहाई का आंकड़ा भी नहीं छुआ और जहां तक वोट प्रतिशत का मामला है तो मिनी प्रांत के पिछले चुनाव के मुकाबले तो यह ज्यादा था, जो सुकून वाली बात थी लेकिन कुछ समय पहले हुए देश के चुनाव में इसी क्षेत्र से मिले वोटों के मुकाबले यह संख्या काफी कम थी। पार्टी सदमे में थी। ट्विटर पर अति सक्रिय रहने वाले नेताओं की उंगलियों को जैसे करंट लग गया था। पार्टी के बड़े नेता भी सदमे में थे। पार्टी में दो नंबर के नेता का बयान आ चुका था कि इस बार घृणा की खेती नहीं की जा सकी बल्कि उसका नुकसान ही हुआ। उन्होंने कुछ छुटभैये नेताओं के बयानों का हवाला देते हुए कहा कि ऐसे बयानों से नुकसान हुआ हो सकता है। लेकिन मुश्किल यह थी कि घृणा बयान कुछ छुटभैये नेताओं ने ही नहीं दिये थे, बल्कि पार्टी के एक नंबर से लेकर दस नंबरी सॉरी दस नंबर तक के नेताओं ने ऐसे बयान दिये थे। ऐसी पृष्ठभूमि में फैसला किया गया कि सीरीज ऑफ बैठकें की जाएंगी औैर मंथन किया जायेगा कि पार्टी क्यों हारी। जिम्मेवारी फिक्स होगी और कार्रवाई भी की जाएगी। चूंकि पार्टी का स्वरूप लोकतांत्रिक और छवि अनुशासित पार्टी की थी इसलिए बैठक में मिस्ड कॉल से प्रायमरी मेंबर से लेकर टॉप लेवल के नेता शामिल थे। सीरिज की आखिरी बैठक में क्या हुआ उसकी मिनट टू मिनट डीटेल आपके इस खादिम के हाथ लग गई, जिसका ब्यौरा यहां पेश है:
बैठक की शुरुआत मिनी प्रांत इकाई के प्रधान ने इस संक्षिप्त वक्तव्य से की : हालांकि यह सही है कि पिछले चुनाव के मुकाबले हमारी सीटों की संख्या भी तिगुनी हुई है और वोट प्रतिशत भी बढ़ा है लेकिन नतीजे संतोषजनक नहीं हैं। हम यहां मंथन करने के लिए जुटे हैं और बैठक में सबको खुलकर मौका दिया जाएगा तो आपके मन में जो भी है बोलें। हम शुरुआत प्रायमरी मेंबरों से करना चाहेंगे, जो किसी भी पार्टी की असली दौलत होते हैं।
एक प्रायमरी मेंबर : (गिल्ट भरे स्वर में) मिनी प्रांत में हमारे सदस्यों की जो संख्या थी हमें उससे भी कम वोट मिले, यह दुखद और शर्मनाक है। इसका यह भी मतलब है कि हममें से कईयों ने या तो वोट देना जरूरी नहीं समझा या दुश्मन पार्टी को वोट दे दिया। एक प्रायमरी मेंबर होने के नाते मैं इस हार की नैतिक और हर तरह से जिम्मेवारी लेता हूं।
फिर कार्यकर्ताओं के प्रतिनिधि की बारी आई।
कार्यकर्ता : (भरे गले से) हमने पार्टी का नमक खाया है, खाते ही रहते हैं। हम काम भी हालांकि खूब करते हैं और गैरचुनावी समय में पार्टी के प्रचार करने के अलावा भले-बुरे को डिफेंड करते हैं तथा चुनावी समय में लोगों को बूथ तक खींच कर लाते हैं लेकिन इस बार पता नहीं कैसे हम चूक गये। नतीजों से जाहिर है कि हम पार्टी को पर्याप्त वोट और सीटें नहीं दिला पाए। कार्यकर्ताओं के लिए यह शर्मनाक बात है और कार्यकर्ताओं के प्रतिनिधि के रूप में मैं इस हार की नैतिक औैर हर तरह से जिम्मेवारी...
अति भावुक हुए एक छुटभैये नेता ने कार्यकर्ता की बात बीच में ही काट दी और बोलना शुरू किया : नहीं, नहीं। हार की नैतिक और हर तरह से जिम्मेवारी मेरी है। न मैं 'बुलेट' वाली बात कहता न जनता 'बैलेट' से हमें जवाब देती। हमारे कार्यकर्ता भाइयों ने तो हमेशा की तरह बहुत मेहनत की। मैं इस हार के लिए खुद को ही जिम्मेवार मानता हूं।
अपराधबोध से ग्रस्त दूसरे कुछ छुटभैये नेताओं ने भी गंभीर भाव से ‘हां‘ में मुंडी हिलाई। अब प्रांत स्तर के नेताओं के बोलने की बारी थी। सो मिनी प्रांत इकाई के प्रधान ने बोलना शुरू किया।
प्रधान : आप सब लोगों का जिम्मेवारी बोध देखकर मेरा गला भर आया है और मैं ज्यादा कुछ बोल नहीं पाऊंगा। सच तो यही है कि आप लोगों की कोई गलती नहीं है। टीम के कप्तान के रूप में मैं हार की नैतिक और हर तरह से जिम्मेवारी लेता हूं।
प्रधान ने अपना संक्षिप्त वक्तव्य देकर शीर्ष नेतृत्व का प्रतिनिधित्व कर रहे टॉप लेवल के कुछ नेताओं की तरफ देखा और आंखों ही आंखों में कुछ बोलने की याचना की। एक टॉप लेवल का नेता जो मन ही मन राहत की सांस ले रहा था कि किसीने भी बोले तो किसीने भी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर उंगली नहीं उठाई (अब आप यह मत पूछना कि मैंने उसके मन की बात कैसे जान ली क्योंकि जो बंदा किसी बैठक में गये बिना उसकी मिनट टू मिनट डीटेल जान सकता है वह किसीके मन की बात भी जान सकता है), ने बोलना शुरू किया।)
शीर्ष नेतृत्व के प्रतिनिधि : वैसे तो हमारा काम इस बैठक की रिपोर्ट बनाकर देना है औैर यह सिफारिश करना भी कि हार की जिम्मेवारी किसकी है तथा उस पर क्या कार्रवाई की जा सकती है। लेकिन प्रायमरी मेंबर से लेकर मिनी प्रांत इकाई के प्रधान ने जिस परिपक्वता का परिचय दिया है और अपनी गलती स्वीकार की है, वह देखकर मुझे लगता है कि हमें इस बदमजा किस्से को यहीं खत्म कर देना चाहिए। आखिर, चुनाव में हार-जीत लगी रहती है। तो मैं यह बैठक समाप्त करने की घोषणा करता हूं औैर मिनी प्रांत इकाई के प्रधान को आदेश देता हूं कि सबके जलपान की व्यवस्था की जाए।
#कोई नहीं जी! - महेश राजपूत
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