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दो कविताएं

सवाल करो!


सवाल करो
बवाल करो
यूं खाली ना तुम
मलाल करो
जवान मर रहे
किसान मर रहे
अमीर बस अपनी
तिजोरी भर रहे
हुक्मरानों को ना
बख्शो तुम अब
जमीर अपना ना
हलाल करो
सवाल करो...
आशीर्वाद की
ओट में
मांग रहे
वे वोट हैं
गिद्ध-नीति पर
चल रहे
लाशों को
वे नोंच रहे
इनको तुम
बेहाल करो
सवाल करो...
न रोज़ी है
न रोटी है
अमन की
तुक्का-बोटी है
हिंदू-मुस्लिम
दोनों पीड़ित
कुछ तो इसका
खयाल करो
सवाल करो...

(18 फरवरी 2019)

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वाह अभिनंदन! आह अभिनंदन!

पकड़ा गया तो
कौन अभिनंदन?
छोड़ा गया तो
हमारा अभिनंदन!
दिल्ली में
पायलट प्रोजेक्ट!
तमिलनाड में
तुम्हारा अभिनंदन!
पार्टी प्रचार में
जीप से बंधा अभिनंदन
भ्रष्टाचार, बेकारी की
ढाल अभिनंदन
वाह अभिनंदन!
आह अभिनंदन!
(अभिनंदन, इन वोट के सौदागरों को कभी माफ न करना क्योंकि ये अच्छी तरह से जानते हैं ये क्या कर रहे हैं।)
(9 मार्च 2019) 

(फेसबुक पर पोस्ट की यह कविताएं ब्लॉग के पाठकों के लिए पोस्ट कर रहा हूं।)


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