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ये नयन डरे-डरे...

 

 
हिचकॉक की फिल्म 'रिबेका' की नक़ल कर बनी 'कोहरा' का मनुहार गीत है, 'ये नयन डरे-डरे'। अपमानित व उपेक्षित महसूस कर रही पत्नी को पति मनाने की कोशिश कर रहा है और इस एक गीत में राजश्री उर्फ राज (वहीद रहमान), जो अमित (बिस्वजीत) की दूसरी पत्नी है, अमित की पहली पत्नी पूनम की मौत के बावजूद उसकी वैवाहिक जीवन में ग्रहण जैसी उपस्थिति से आक्रांत है, अमित की प्रेमिका बनती है और फिर मांग में सिंदूर भरवा कर पत्नी का हक पाती है।
मुखड़ा है :
ये नयन डरे-डरे
ये जाम भरे-भरे
ज़रा पीने दो
कल की किसको खबर
इक रात होके निडर
मुझे जीने दो
फिल्मांकन यों है कि राज कमरे से निकल बाहर आई है, अमित पीछे आता है। गाना शुरू करता है। उसकी आंख से आंसू पोंछता है।
अंतरा शुरू होने से पहले आईने में खुद को देखना अपनी अलहदा खूबसूरती के प्रति उसे आश्वस्त करता है। वह पारंपरिक तौर पर गोरी-चिट्टी खूबसूरत नहीं है जैसे पूनम के बारे में वह सुनती रही है।
एक हल्की मुस्कुराहट पहली बार राज के चेहरे पर अंतरे में आती है जब वह कहता है
रात हसीं, ये चांद हसीं,
तू सबसे हसीं मेरे दिलबर
और फिर राज की झुकी पलकें उठती हैं, हल्के चौंकने के अंदाज़ में एक सवाल (तुम्हारी नज़र में मुझसे हसीं कौन?) लिए जब अमित कहता है :
और तुझसे हसीं...
मुस्कुराहट पूरी तरह खिल जाती है, जब वह अपने सवाल का जवाब पाती है :
और तुझसे हसीं तेरा प्यार
तू जाने ना....
दूसरे अंतरे से पहले राज श्रृंगार करती है और क्रम इस प्रकार है : आंखों में काजल लगाना, खुले बाल संवारना, जूड़ा बांधना, चूड़ियां पहनना, जूड़े में गजरा लगाना, साड़ी का आंचल सिर पर लेना और सिंदूर की डिबिया उठाना।
दूसरा अंतरा है, अमित राज के प्रति अपने व्यवहार को दार्शनिक स्पिन देकर जस्टीफाई करने की कोशिश करता है:
प्यार में है जीवन की खुशी,
देती है खुशी कई ग़म भी
मैं मान भी लूं...
अमित उसकी मांग में सिंदूर भरते हुए एक तरह से छेड़ भी रहा है कि वह अपना हक नहीं छोड़ने वाली और अपनी गलती भी स्वीकार कर रहा है :
मैं मान भी लूं कभी हार
तू माने ना...
राज का ट्रांसफॉर्मेशन पूरा होता है और वह फिर से समर्पण को तैयार प्रेमिका में बदल चुकी है।
कैफी आज़मी का लिखा गीत। हेमंत कुमार की आवाज़। हेमंत कुमार का ही संगीत और वहीदा का बेजोड़ अभिनय। सिर्फ यह गीत एक साधारण फिल्म को (मूल फिल्म को क्रेडिट नहीं दिया गया था और कथानक का भारतीयकरण करने की प्रक्रिया में वह टेंशन, वह शार्पनेस नहीं थी जो रिबेका में थी। साथ ही सुपर नेचुरल टच देने से भी फि

ल्म कमज़ोर हुई) अविस्मरणीय बना देता है।

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