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सब विपच्छ का दोष है!



पिछले तीन सालों में हमारे देश में एक नया रहस्योद्घाटन हुआ है, वह यह कि देश की सभी समस्याओं के लिए ज़िम्मेदार विपक्ष है। देश के विकास में सबसे बड़ी बाधा विपक्षी दल हैं। देश का अगर विकास हुआ है (और हुआ तो होगा ही), तो वह विपक्ष के कारण नहीं बल्कि विपक्ष के बावजूद हुआ है और जो नहीं हुआ तो उसका ज़िम्मेदार विपक्ष है। यह देश का दुर्भाग्य नहीं तो क्या है कि तीन साल पहले तक की सरकारें कमज़ोर और नाकारा थीं और अब विपक्ष कमज़ोर और नाकारा है। विपक्ष कमज़ोर और नाकारा तो है ही विभिन्न विपक्षी दलों में कोई एकता भी नहीं है। अब इसके लिए आप सरकार को तो दोष नहीं न दे सकते। सरकार देश चलाये या विपक्षी एकता की चिंता करे?    
चाहे प्रिंट मीडिया हो या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, न जाने कितने राजनीतिक पंडित यह लिखते-बोलते नहीं थकते कि साहब हमारे देश का विपक्ष मज़बूत होता तो फलां मुद्दे पर सरकार को फाड़ देता, फलां मुद्दे पर सरकार को चीर देता। विपक्ष में दम होता तो सरकार इतनी निरंकुश न होती। सरकार की मजाल न होती कि वह कोई गलत कदम उठाती, मनमाने फैसले लेती, पर अफ़सोस हमारा विपक्ष इतना कमज़ोर, इतना नाकारा है कि सरकार, वो अंग्रेजी में क्या कहते हैं, हां, इज गेटिंग अवे विथ द मर्डर!
राजनीतिक पंडितों के एक वर्ग का यह भी मानना है कि विपक्ष के साथ एक और गड़बड़ है।  विपक्ष ने जब भी शोर मचाया है बेकार के मुद्दों पर। गौरक्षा का मुद्दा ले लीजिये। गौरक्षा के नाम पर गुंडागर्दी वैसे तो कोई गंभीर समस्या नहीं है पर खुद पीएम ने गौरक्षकों को कड़ी चेतावनी दी। इससे ज्यादा सरकार क्या करती पर विपक्ष को संतोष ही नहीं। उसे तो बस बात का बतंगड़ बनाना है। इन पंडितों की यह भी शिकायत है कि विपक्षियों को जहाँ सरकार को साथ देना चाहिए वहां भी वे विरोध करते हैं। इसके तो कई उदहारण हैं। नोटबंदी को लीजिये जहाँ सरकार ने एक फैसले से देश से भ्रष्टाचार ख़त्म कर दिया, काला धन समाप्त कर दिया, जाली नोटों की समस्या को समाप्त कर दिया, आंतकवाद, उग्रवाद की आर्थिक रीढ़ तोड़ दी, व्यवस्था से नकदी नामक रोग को मिटा कर कैशलेस बना दिया, देश के जन-जन को डिजिटल अपनाने को प्रेरित किया, अमीरी-गरीबी का भेद मिटा कर समाजवाद ला दिया और भी न जाने क्या-क्या कर दिया जो हमें आने वाले दिनों में पता चलेगा, लेकिन हमारे विपक्षी हैं कि मानते ही नहीं। किये जा रहे हैं विरोध। कश्मीर का मामला देखिये, पहली बार कोई सरकार आई है जो कहती है बहुत ढील दे दी अब नहीं देंगे। बातचीत नहीं होगी, सख्ती होगी। विपक्षी इसका भी विरोध कर रहे हैं। पाकिस्तान प्रायोजित आंतकवादी हमलों के जवाब में सरकार ने सर्जिकल स्ट्राइक कर दी, विपक्ष ने क्या किया? विरोध!
ऐसे विपक्ष के रहते कोई सरकार कोई अच्छा काम, कोई सही काम करे तो कैसे?

कोई नहीं जी!-२/महेश राजपूत

कार्टून: बीबीसी हिंदी से साभार 

(नोट: ब्लॉग पर व्यंग्य रचना श्रृंखला "कोई नहीं जी!" में दूसरी रचना. पहली 
 'मेरा कैलेंडर बदल रहा है' थी जिसे अच्छा प्रतिसाद मिला था. आशा है यह छोटा लेख भी पसंद आएगा.)   

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