-कोविड से हालात बहुत खराब हैं।
-जी। पर हम चुप नहीं बैठे हैं। हमने पूरा सिस्टम झोंक दिया है।
-कैसे?
-हमने ठान लिया है, एक सौ पच्चीस करोड़ लोगों में एक भी व्यक्ति निगेटिव न हो।
-क्या कह रहे हैं आप???
-पता था, आप जैसे देशद्रोही लोग उलटा अर्थ निकालेंगे। मैं कोविड निगेटिव की नहीं नकारात्मकता की बात कर रहा था। हम सकारात्मक होने में विश्वास करते हैं।
-तो सकारात्मकता का भाव जगाने के लिए आपकी योजना ज़रूर अस्पताल बनाने, ऑक्सीजन, दवाइयों की कमी दूर करने, देश भर में नि:शुल्क वैक्सीनेशन अभियान चलाने की होगी।
-इस सबके लिए टाइम और पैसा कहां है हमारे पास? हम दूसरे प्रयासों में लगे हैं।
-बोले तो?
-हम ढूंढ - ढूंढ कर नकारात्मकता फैलाने वाली सोशल मीडिया पोस्ट को हटवा रहे हैं। नकारात्मकता फैलाने वालों को ब्लॉक करवा रहे हैं। ट्विटर, फेसबुक, सब पर हमारी नज़र है।
-ये तो सचमुच बड़ा काम है। इंटरनेशनल मीडिया में लेकिन बहुत अंटशंट आ रहा है, उसका क्या करेंगे? आप इन प्रकाशनों को बंद नहीं करवा सकते?
-आप हमारा मज़ाक उड़ा रहे हैं?
-नहीं, मेरी ऐसी मजाल? मैं सौ फीसदी गंभीर था।
-देखिये। इंटरनेशनल मीडिया की पहुंच वैसे भी बहुत सीमित है और उसमें भी बड़ा हिस्सा सोशल मीडिया के ज़रिये पढ़-देख पाता है। इसलिए हमारा फोकस सोशल मीडिया पर है, जो इन दिनों एंटी सोशल मीडिया बन गया है।
-यहां के मीडिया के बारे में आपका क्या कहना है?
-यू मीन लाभार्थी मीडिया? वह तो गाय जैसा सीधा है। कहे बिना साहब के मन की बात समझ लेता है।
-चलिये, एक मोर्चे पर तो आपको राहत है। पर सोशल मीडिया को आप क्यों काबू नहीं कर पा रहे?
-कर लेंगे जी। बस, थोड़ा समय लगेगा। अपने आईटी सेल वाले भी तो मैदान में उतर चुके हैं।
- यू मीन ट्रोल सेना?
-व्हाट डू यू मीन बाई ट्रोल सेना? वह हमारे सोशल मीडिया वॉरियर हैं।
-ओके। सॉरी। पर आरोप तो यह है कि आपके आईटी सेल वाले योद्धा नकारात्मकता फैलाते हैं।
-गलत। हमारे योद्धा नकारात्मक तत्वों के खिलाफ नकारात्मकता फैलातेे हैं।
-मैं समझा नहीं।
-आप सब समझते हैं। मैं जानता हूं, आप मुझे मामा बना रहे हैं। मैं क्या आप जैसे देशद्रोही तत्वों को नहीं पहचानता। मैं इंटरव्यू...
-अरे...अरे... ठहरिये। ऐसे इंटरव्यू समाप्त करेंगे तो हमारी दोस्ती का क्या होगा?
-भाड़ में जाए दोस्ती। इंटरव्यू समाप्त।
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