मेरा नाम सहरा करीमी है और मैं एक फिल्म निर्देशक व 1968 में स्थापित की गई एकमात्र सरकारी फिल्म कंपनी अफगान फिल्म की महानिदेशक हूं।
मैं आपको टूटे दिल और गहरी उम्मीद से लिख रही हूं कि आप मेरे प्यारे देशवासियों, खासकर फिल्मकारों को बचाने में साथ दें। पिछले कुछ हफ्तों में तालिबान ने कई प्रांतों का नियंत्रण अपने हाथ में लिया है। उन्होंने हमारे लोगों को मारा है, कई बच्चों का अपहरण किया है, बच्चियों को चाईल्ड ब्राईड के रूप में बेचा है, एक महिला को उनकी वेशभूषा के कारण मारा है, हमारे एक प्यारे कॉमेडियन को उन्होंने प्रताड़ित करने के बाद मार डाला है, हमारे ऐतिहासिक कवियों को मारा है, सरकार के संस्कृति व मीडिया प्रमुख को मारा है, सरकार से जुड़े लोगों की वह हत्याएं कर रहे हैं, कुछ लोगों को तो वह सरेआम फांसी पर लटका रहे हैं, हजारों परिवारों को उन्होंने दरबदर किया है। इन प्रांतों से भागे परिवारों ने काबुल के शिविरों में शरण ली है और वह बुरी स्थिति में हैं। शिविरों में लूट मची हुई है और बच्चे मर रहे हैं क्योंकि दूध नहीं है। यह मानवीय संकट है लेकिन दुनिया चुप है।
हम इस चुप्पी के आदी हो चुके हैं, लेकिन फिर भी हमें पता है कि यह ठीक नहीं है। हम जानते हैं कि हमारे लोगों को इस तरह अपने हाल पर छोड़ दिये जाने का निर्णय गलत है, कि आनन-फानन में सैन्य वापसी हमारे लोगों के साथ और पश्चिम के लिए शीत युद्ध जीतने के लिए जो अफगानियों ने किया, उसके साथ धोखा है। हमारे लोगों को तब भुला दिया गया था, तालिबान के काले शासन के लिए और अब बीस सालों का हासिल, खासकर हमारी युवा पीढ़ियों के लिए, फिर गंवा दिया जाएगा, इस तरह अपने हाल पर छोड़ दिये जाने के कारण।
हमें आपकी आवाज चाहिए। मीडिया, सरकारें और दुनिया भर की मानवीय संस्थाएं चुप हैं जैसे कि तालिबान के साथ यह “शांति सौदा“ वैध था। यह कभी वैध नहीं था। उन्हें स्वीकृति देने ने उनमें सत्ता में लौटने की ताकत दी है। तालिबानी वार्ता की समूची प्रक्रिया के दौरान हमारे लोगों पर अत्याचार करते आ रहे हैं।
एक फिल्मकार के रूप में अपने देश के लिए कड़ी मेहनत से जो भी निर्मित किया है, उसके खत्म होने का खतरा है। यदि तालिबान पूरी तरह से कब्जा करते हैं तो वह समूची कला पर प्रतिबंध लगा देंगे। वह महिलाओं के अधिकारी छीन लेंगे, हम अपने घरों की परछाइयों में धकेल दिये जाएंगे, हमारी अभिव्यक्ति का गला घोंटकर चुप्पी में बदल दिया जाएगा। जब तालिबान सत्ता में थे, स्कूलों में एक भी लड़की नहीं होती थी। तब से 90 लाख से अधिक अफगानी लड़कियां स्कूल में गई हैं। यह अविश्वसनीय उपलब्धि है, तीसरा सबसे बड़ा शहर जो तालिबान के कब्जे में आया है, की 50 फीसदी महिलाएं विश्वविद्यालय में थीं। इन अविश्वसनीय लाभों के बारे में दुनिया नहीं जानती। कुछ ही हफ्तों में तालिबान ने कई स्कूल तबाह कर दिये हैं और 20 लाख लड़कियों को स्कूल छोड़ने के लिए मजबूर किया गया है।
मैं इस दुनिया को समझ नहीं पा रही हूं। मैं यह चुप्पी समझ नहीं पा रही हूं। मैं यहीं रहूंगी और अपने देश के लिए लड़ूंगी, लेकिन मैं यह अकेले नहीं कर सकती। मुझे आप जैसे साथियों की जरूरत है। हमारे साथ क्या हो रहा है, यह दुनिया को समझाने में मदद करें। अपने देश के महत्वपूर्ण मीडिया को सूचित करने में हमारी मदद करें कि अफगानिस्तान में क्या हो रहा है। अफगानिस्तान के बाहर हमारी आवाज़ बनें। यदि तालिबान काबुल पर कब्जा कर लेता है, हमें इंटरनेट या संप्रेषण के किसी उपकरण तक पहुंच भी नहीं मिल पायेगी।
अपने सभी फिल्मकारों, कलाकारों को हमें समर्थन देने के लिए, हमारी आवाज़ बनने के लिए कहें।
यह कोई सिविल वॉर नहीं है, यह छद्म युद्ध है, यह लादा हुआ युद्ध है और यह तालिबान से अमरीकी करार का नतीजा है। जितना आप अपने मीडिया से साझा कर सकें या हमारे बारे में सोशल मीडिया पर लिख सकें, लिखें। दुनिया इस तरह मुंह नहीं मोड़ सकती। अफगानी महिलाओं, बच्चों, कलाकारों और फिल्मकारों के लिए हमें आपका समर्थन और आपकी आवाज चाहिए। इस समय यह समर्थन ही हमारे लिए सबसे बड़ी मदद होगी।
हमें इस दुनिया को यह बताने में मदद करें कि वह इस तरह अफगानिस्तान को उसके हाल पर नहीं छोड़ सकती। तालिबान काबुल पर कब्जा करे, उसके पहले हमारी मदद करें। हमारे पास बहुत कम समय है, शायद कुछ ही दिनों का। आपका बहुत-बहुत शुक्रिया। मैं आपकी सहृदयता की दिल से सराहना करती हूं।
सहरा करीमी
(नोट : यह जिस पत्र का अनुवाद है, वह नीचे दिया जा रहा है। पत्र फेसबुक पर सिनेमा प्रेमियों के समूह ‘खैलीडोस्कोप‘ में किसीके साझा किया तो उसका जल्दी में किया गया हिंदी अनुवाद।)
To All the Film Communities in The World and Who Loves Film and Cinema!
My name is Sahraa Karimi, a film director and the current general director of Afghan Film, the only stated-owned film company established in 1968.
I write to you with a broken heart and a deep hope that you can join me in protecting my beautiful people, especially filmmakers from the Taliban. In the last few weeks, the Taliban have gained control ofso many provinces. They have massacred our people, they kidnapped many children, they sold girls as child brides to their men, they murdered a woman for her attire, they gauged the eyes of a woman, they tortured and murdered one of our beloved comedians, they murdered one of our historian poets, they murdered the head of culture and media for the government, they have been assassinating people affiliated with the
government, they hung some of our men publicly, they have displaced hundreds of
thousands of families. The families are in camps in Kabul after fleeing these provinces, and they are in unsanitary condition. There islooting in the camps and babies dying because they don’t have milk. It is a humanitarian crisis, and yet the world is silent.
We have grown accustomed to this silence, yet we know it is not fair. We know that this decision to abandon our people is wrong, that this hasty troop withdrawal is a betrayal of our people and all that we did when Afghans won the Cold War for the west. Our people were forgotten then, leading up to the Taliban’s dark rule, and now, after twenty years of immense gains for our country and especially our younger generations, all could be lost again in this abandonment.
We need your voice. The media, governments, and the world humanitarian organizations are conveniently silent as if this “Peace deal” with the Taliban was ever legitimate. It wasnever legitimate. Recognizing them gave them the confidence to come back to power. The Taliban have been brutalizing our people throughout the entire process of the talks.
Everything that I have worked so hard to build as a filmmaker in my country is at risk of falling. If the Taliban take over they will ban all art. I and other filmmakers could be next on their hit list. They willstrip women’srights, we will be pushed into the shadows of our homes and our voices, our expression will be stifled into silence. When the Taliban were in power, zero girls were in school. Since then there are over 9 million Afghan girls in school. This is incredible Herat, the third-largest city which just fell to the Taliban had nearly 50% women in its university. These are incredible gains that the world hardly knows about. Just in these
few weeks, the Taliban have destroyed many schools and 2 million girls are forced now out of school again.
I do not understand this world. I do not understand this silence. I will stay and fight for my country, but I cannot do it alone. I need allies like you. Please help us get this world to care about what is happening to us. Please help us by informing your countries’ most important media what is going on here in Afghanistan. Be our voices outside Afghanistan. If the Taliban take over Kabul, we may not have access to the internet or any communication tool at all.
Please engage your filmmakers, artists to support us to be our voice.
This war is not a civil war, this is a proxy war, thisis an imposed war and it is the result of the US deal with the Taliban. Please as much as you can share this fact with your media and write about us on your social media.
The world should not turn its back on us. We need your support and your voice on behalf of Afghan women, children, artists, and filmmakers. This support would be the greatest help we need right now.
Please help us get this world to not abandon Afghanistan. Please help us before the Taliban take over Kabul. We have such little time, maybe days. Thank you so much. I appreciate your pure true heart so dearly.
With regard,
Sahraa Karimi
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