शेखचिल्ली को मूर्ख करार दिया गया क्योंकि वह एक पेड़ की उस डाल को काट रहा था जिस पर वह बैठा था । मुंबई और महाराष्ट्र के प्रशासकों को क्या कहा जाए जो मुंबई जैसे कंक्रीट के जंगल की लाइफलाइन माने जाने वाले पेड़ों को काट रहे हैं वह भी मेट्रो की कोलाबा से सीप्ज़ (अँधेरी) के बीच मेट्रो लाइन बिछाने के लिए । यह मज़ाक की बात नहीं है क्योंकि पांच हज़ार से ज़्यादा पेड़ों को काटा जाने वाला है । ऊपर से तुर्रा यह कि काटे जाने वाले कुछ पेड़ों पर उक्त बोर्ड लगाया गया है, जिसमें पेड़ काटने का विरोध करने पर कानूनी कारवाई करने की धमकी दी गयी है । क्या ऐसे ही मामलों के लिए नहीं कहा गया विनाश सॉरी विकास काले विपरीत बुध्दि!