विशेष संवाददाता
मुंबई, 01 अप्रैल : एक और बैंक में दिन-दहाड़े
डकैती का सनसनीखेज़ मामला सामने आया है।
पुलिस के अनुसार डकैती आज रिपोर्ट की गयी। नहीं
यह वैसी डकैती नहीं थी जिसमें कुछ नकाबपोश डकैत बैंक में आते हैं और गन दिखाकर
कैशियर से कैश लूट ले जाते हैं। बैंक के उच्चाधिकारियों की पुलिस में शिकायत के
अनुसार डकैती का पता आज चला पर डकैती को अंजाम पिछले कुछ सालों से दिया जा रहा था।
पर इसमें बैंक का भी कुछ दोष नहीं माना जा सकता। दरअसल, डकैतों का 'मोडस ओपरेंडी'
ही ऐसा था, कि कोई भी शरीफ बैंकर धोखा खा जाए। इस मामले में डकैतों के गिरोह सॉरी फर्म
का बैंक से रिश्ता सालों पुराना था। सालों पहले कुछ डकैतों ने एक फर्म बनाकर बैंक
से सौ रुपये का क़र्ज़ लिया था अपना छोटा सा कारोबार शुरू करने के लिए। वह रकम डकैतों
की फर्म ने कुछ समय बाद बैंक से ही पांच सौ रुपये क़र्ज़ लेकर लौटा दी। पांच सौ का
क़र्ज़ उसने कुछ समय बाद फिर बैंक से पांच हज़ार रुपये का क़र्ज़ लेकर लौटा दिया। इस
तरह डकैतों ने बैंक का विश्वास जीता और क़र्ज़ लेकर नया क़र्ज़ चुकाने का सिलसिला चल
पड़ा। अब अचानक पिछले कुछ समय से उसकी ईएमआई आनी बंद हुई तो बैंक के अधिकारीयों ने फर्म
से संपर्क किया। पता चला डकैत तो अपना बोरिया बिस्तर बांधकर दूरदेश चले गए हैं। बेचारे
ब्रांच मैनेजर को तो जैसे सदमा लग गया। ऐसा विश्वासघात! ब्रांच मैनेजर ने
अपनी एक मार्मिक फेसबुक पोस्ट में डकैत को एक चिठ्ठी भी लिखी है, स्थानाभाव के
कारण यहाँ पूरी चिठ्ठी तो देना संभव नहीं है पर उसकी जिस्ट बतायी जा रही है जो एक
गीत की दो पंक्तियों - चिठ्ठी न कोई संदेस, न जाने कौन सा देस, जहाँ तुम चलाए गए।।।"
पर उस कठोर ह्रदय डकैत को देखिये, अभी तक उसने ब्रांच मैनेजर की पोस्ट का न सिर्फ
जवाब नहीं दिया, बल्कि पोस्ट को 'लाईक' तक नहीं किया।
जांच अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि
मामला दर्ज कर लिया गया है और जांच शुरू हो चुकी है। उन्होंने बताया कि
गिरफ्तारियों का सिलसिला भी शुरू हो चुका है। पहली गिरफ्तारी उस सेवानिवृत्त हो चुके
चौकीदार की की गयी है जिसने पहली बार क़र्ज़
लेने आये डकैत के लिए बैंक का दरवाज़ा खोला था और उसके सूट-बूट से प्रभावित होकर
उसे सैल्यूट मारा था।
दूसरी तरफ, विपक्ष की जैसी कि बिना वजह हल्ला
मचाने की आदत होती है, उन्होंने डकैतों और सत्तारूढ़ पार्टी के बीच सांठ-गाँठ के
अनर्गल आरोप लगाये हैं। विपक्षियों ने कुछ तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर डलवा दी हैं
जिनमें डकैत कुछ मंत्रियों और पीएम** तक के साथ दिख रहे हैं। इसके जवाब
में सत्तारूढ़ पार्टी के एक प्रवक्ता ने डकैत के बैंक से पहली बार लोन के आवेदन
फॉर्म की प्रति मीडिया के सामने पेश करते हुए बताया है कि यह क़र्ज़ तब लिया गया था
जब उनकी पार्टी पैदा भी नहीं हुई थी। तब तो वही पार्टी सरकार में थी, जिसके नेता
अब हल्ला मचा रहे हैं। प्रवक्ता ने तस्वीरों के बारे में सफाई यों दी, "आखिर
हमारे लोकप्रिय मंत्री और सुपर लोकप्रिय पीएम किस-किस को अपने साथ तस्वीर खिंचाने
से मना कर सकते हैं क्योंकि सभी सवा सौ करोड़ भारतीय तो हमारे साथ तस्वीर खिंचवाना
चाहते हैं। क्या कोई सेलेब्रिटी किसीको ऑटोग्राफ देते समय या तस्वीर खिंचवाते समय
अपने प्रशंसक के किरदार की जांच करता है? फिर हमसे ऐसी अपेक्षा क्यों?"
जहाँ तक सरकार की बात है, सरकार ने इस मामले को
कितनी गंभीरता से लिया है, इसका अंदाजा इसीसे लगाया जा सकता है कि रेलवे मंत्री का
बयान आया है कि डकैतों को पाताल से भी ढूंढ कर वापस लाया जाएगा और जनता के
खून-पसीने की एक-एक पाई डकैतों से वसूली जायेगी।
* यह खबर जिस दिन अखबारों में मुखपृष्ठ पर
प्रकाशित होनी थी, डबल जैकेट विज्ञापन आ गया और खबर नहीं छप पायी।
** पीएम बोले तो परम मित्र कुछ और नहीं, समझे!
कोई नहीं जी! - 13/महेश राजपूत
रेल मंत्री नहीं कपड़ा मंत्री कुछ बोलें तो मानूं।
ReplyDeleteहा!हा!हा!
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