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(55) घंटे का सीएम!


सचमुच हमारे देश का कुछ नहीं हो सकता! बताइए न ऐसे देश का हो भी क्या सकता है जहाँ विपक्षी इतने बदमाश हों कि युगों-युगों तक सीएम बने रहने के काबिल एक शख्स को 55 घंटे का सीएम बना दिया जाए! इतनी बड़ी साज़िश! इतनी गहरी साज़िश! दो पार्टियों (कांग्रेस और जनता दल सिक्युलर) ने पहले तो यह इम्प्रैशन दिया कि वह एक दूसरे के खिलाफ लड़ रही हैं। फिर जनता को कन्फ्यूज़ कर ऐसे परिणाम लाये कि देश और सभी राज्यों में शासन करने लायक एकमात्र स्वाभाविक पार्टी यानी बीजेपी को 'सिंगल लार्जेस्ट पार्टी' तो बनवा दिया पर बहुमत के आंकड़े से दूर रखा। फिर नतीजे आते ही आनन-फानन अनैतिक गठजोड़ कर सरकार बनाने का दावा ठोंक दिया ताकि बीजेपी को लगे कि हाय, देर करने से गाड़ी छूट न जाए और वह भी बिना सोचे-समझे दावा ठोंक दे! फिर राज्यपाल को मजबूर कर दिया कि वह येदुरप्पाजी को सरकार बनाने का न्योता दे! आप पूछेंगे मजबूर कैसे? अरे भाई सोशल मीडिया में इतना हल्ला मचा दिया कि कभी पीएम (तब गुजरात के सीएम) थे के लिए सीट छोड़ने वाले वाजूभाई वाला तो बीजेपी के प्रत्याशी को ही बुलाएँगे कि उनकी जगह बैठा कोई भी व्यक्ति सोचता कि विपक्षी उनकी बांह मरोड़कर फैसला करवाने की कोशिश कर रहे हैं, सो उन्होंने विवेक से काम लेते हुए फैसला किया और श्री येदुरप्पा को ही सरकार बनाने का फैसला किया। जो सही भी था।
विपक्षी खैर फिर भी बदमाशी से बाज़ नहीं आए। उन्होंने मीडिया के एक हिस्से को उकसाकर यह फैलाना शुरू किया कि आठ की क्या बात है साठ विधायक उनके साथ आ सकते हैं। बताइये, और तो और उन्होंने मीडिया के ज़रिये उकसा कर यह पूछ-पूछकर कि आखिर बीजेपी बहुमत कैसे हासिल करेगी? पार्टी प्रवक्ताओं/नेताओं तक से यह कहलवा दिया, "हमारे पास शाह हैं न, सब हो जाएगा?" बीजेपी जो कभी जोड़तोड़, खरीद-फरोख्त में विश्वास नहीं करती,  इस उम्मीद पर सरकार बनाने पर तैयार हो गयी कि विपक्षी दलों में कुछ तो ऐसे विधायक होंगे जो अपनी अंतरात्मा की आवाज़ सुनेंगे और उनके साथ आयेगे। फिर राज्यपाल ने पंद्रह दिन का समय दिया था जो कुछ विधायकों की अंतरात्मा को जगाने के लिए काफी है। पर विपक्षियों ने फिर बदमाशी की और सुप्रीम कोर्ट चले गए! सोचिये, सुप्रीम कोर्ट! जिसके मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग लाये थे! अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिप्पणी नहीं की जा सकती पर यहाँ भी एक नाइंसाफी तो येदुराप्पजी के साथ हुई कि उन्हें एक दिन में बहुमत साबित करने को कहा गया!
विपक्षियों ने फिर बदमाशी की और विधायकों की अंतरात्मा न जागे, उन्हें ऐसे बसों में ठूंसकर लुकाती-छिपाती न जाने कहाँ-कहाँ घुमाती रही जैसे विधायक न हों शक्कर के बोरे हों जिन्हें चींटियों से बचाने के लिए इधर-उधर करते रहना ज़रूरी है। इतना ही नहीं मीडिया के ज़रिये फर्जी ऑडियो रिकॉर्डिंग भी सामने लाते रहे और ऐसे उलूल-जुलूल आरोप लगाकर बीजेपी को बदनाम करते रहे कि उनके विधायकों को खरीदने की कोशिश हो रही है।
अंत में उन्होंने मिलकर ऐसा चक्रव्यूह रचा कि कर्नाटक विधान सभा में येदुरप्पाजी आये तो सीएम के रूप में थे पर निकल पाए इस्तीफ़ा देने के बाद! भगवान इन विपक्षियों को कभी माफ़ नहीं करेगा!

कोई नहीं जी!#15 महेश राजपूत

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