-क्या यह सच है कि नाइजीरिया के विज्ञापन में पश्चिम बंगाल के विकास को हाईजैक कर लिया गया?
-बोले तो गलती से मिश्टेक हो गया।
-आपसे?
-नहीं अखबार से।
-कैसे? तस्वीरें आपने नहीं दी थीं?
-अखबार ने ट्वीट तो किया था कि एडवरटोरियल में मार्केटिंग विभाग की गलती से गलत तस्वीरें चली गईं।
-तो तस्वीरें आपने नहीं दी थीं?
-नहीं।
-क्यों नहीं दी थीं? क्या आपके पास नाईजीरिया में विकास दर्शाने वाली दो तस्वीरें भी नहीं हैं?
-बहुत तस्वीरें हैं।
-तो दी क्यों नहीं?
-पता करना पड़ेगा। उन्होंने मांगी ही नहीं होंगी...
-या आपने यह सोचा कि वह खुद सिंगापुर, दुबई, या यूरोप के किसी सुंदर, विकसित देश की तस्वीरें लगा देंगे और किसीको पता नहीं चलेगा और आपकी बल्ले-बल्ले हो जाएगी।
-ऐसा नहीं है। हमें लगा कि मीडिया ऐसी गलती नहीं करेगा...
-कैसी गलती?
-जैसी कभी-कभी हमारे कुछ अतिउत्साहित भक्त करते हैं, व्हाट्स एप फॉरवर्ड, फेसबुक पोस्ट, ट्वीट पर कहीं की भी तस्वीरें हमारे यहां की डालकर हमें एंबैरेसिंग हालत में डालते हैं।
-आप एंबैरेस भी होते हैं?
-देशद्रोही तत्व हमारे भक्तों की फेक न्यूज़ का भंडाफोड़ करते हैं तो कभी-कभी एंबैरेसमेंट होती ही है।
-अच्छा, अब यह बताएं अखबार के खिलाफ आप क्या एक्शन लेंगे? विज्ञापन या एडवरटोरियल देना बंद करेंगे? अफवाह या फेक न्यूज़ फैलाने के आरोप में संपत्ति जब्त करने जैसी कोई सख्त कार्रवाई करेंगे या माफ कर देंगे?
-इस सवाल का जवाब मैं नहीं दूंगा क्योंकि आप पहले ही काफी सवाल पूछ चुके हैं। इंटरव्यू समाप्त।
(मॉक इंटरव्यू सीरिज़ #दिमागकादही की ताज़ा कड़ी)
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