चंडीगढ़ की सड़क पर मैं कल रात किडनैप होने से बाल-बाल बची!
इतना कहने के बाद सबसे
पहले मैं चंडीगढ़ पुलिस की बेमिसाल दक्षता और बेहद परेशानी भरे हालात में किये मेरे
फ़ोन पर तुरंत कार्रवाई करने के लिए उनका शुक्रिया अदा करना चाहूंगी। उन्होंने लगभग
व्यवस्था में मेरा विश्वास रिस्टोर कर दिया।
मैं सेक्टर-8 मार्किट
से लगभग रात के 12.15 बजे ड्राइव कर रही था और एक पेट्रोल पंप के पास सड़क पार कर
सेक्टर-7 में क्रॉस किया था। मैं एक मित्र के साथ फ़ोन पर भी थी और लगभग एक मिनट
बाद मैंने महसूस किया कि एक कार मेरा पीछा कर रही थी।
यह एक सफ़ेद एसयूवी
थी और मैंने जैसे उसे देखा, कार करीब आई और मेर्री कार के साथ-साथ चलने लगी। अब
मैं सेक्टर-7 में थी, और सेक्टर-26 में सैंट जॉन स्कूल के बाद के सिग्नल की तरफ बढ़
रही थी।
एसयूवी में दो लड़के
थे और दोनों आधी रात को एक अकेली लड़की को तंग करने का मज़ा लेते दिख रहे थे। यह
देखते हुए कि उनकी कार कितनी लहरा रही थी, मुझे डराने के लिए काफी था कि कार मेरी
कार से टकरा सकती थी।
अब तक मैं पूरी तरह
सतर्क हो चुकी थी और थोड़ी घबराई हुई भी थी इसलिए मैंने सैंट जॉन स्कूल ट्राफिक
लाइट से दायें मुड़ने का फैसला किया ताकि मैं मध्य मार्ग पर जा सकूं जो तुलनात्मक रूप
से ज्यादा भीड़ वाला और सुरक्षित मार्ग था।
लेकिन मोड़ पर,
उन्होंने मेरी कार के सामने रास्ता अवरुद्ध कर दिया और पेसेंजर सीट पर बैठा लड़का
कार से बाहर निकल कर मेरी तरफ आने लगा। मैंने तेजी से अपनी कार रिवर्स की और सीधे
आगे बढ़ी और वह मुझ तक पहुँच सकें इससे पहले अगला सिग्नल पार किया। इस बीच मिले
थोड़े समय का इस्तेमाल मैंने पुलिस को १०० पर फ़ोन करने के लिए किया और उन्हें अपनी स्थिति,
जगह और मैं किस दिशा में जा रही थी, की जानकारी दी।
जिस पुलिसकर्मी ने मेरा
फ़ोन सुना था, मेरी आवाज़ से स्थिति की गंभीरता को पहचाना और जल्द ही मदद पहुँचाने
का वायदा किया।
मैंने फ़ोन काटा और
अब मुख्य सड़क पर पहुँच चुकी थी और १५ सेकंड तक एसयूवी नहीं देखी थी। इसलिए मैंने
सोचा कि पुलिस से फ़ोन पर बात करते देखा होगा भाग गए। मैं गलत थी।
अब मैं मध्य मार्ग
पर थी, ५-६ किलोमीटर तक एसयूवी मेरी चार के साथ चलती रही और हर १०-१५ सेकंड के बाद
वह मुझे रुकने के लिए धमका रहे थे।
मैं अब तक बहुत घबरा
गई थी क्योंकि वह मुझे किनारे करने की कोशिश कर रहे थे और मैं किसी तरह रास्ता
बनाकर आगे बढ़ रही थी।
आधी रुआंसी, आधी किंकर्तव्यविमूढ़
क्योंकि नहीं जानती थी की आज रात मैं घर पहुँच पाऊँगी या नहीं।
उन लड़कों ने मुझे
सॉलिटेयर होटल तक लगातार धमकाया और सिग्नल पर मेरी कार ब्लाक की।
इस बार उनके इरादे
पक्के थे क्योंकि उन्होंने मेरे लिए आगे बढ़ने, भागने की कोई जगह नहीं छोड़ी थी और
पेसेंजर सीट वाला यात्री कूदकर कार से बाहर निकला और मेरी कार की तरफ आने लगा।
मैंने पता नहीं
कैसे, अपनी कार रिवर्स की और सिग्नल की तरफ बढ़ी जहाँ जगह थी, इस दौरान पूरा वक्त
मैं गाडी का हॉर्न बजा रही थी। लड़का मेरी कार तक पहुँच चुका था और उसने मेरी खिड़की
पर मुक्के मारने शुरू किये और मेरी कार का दरवाज़ा खोलने की कोशिश करने लगा।
जब वह यह कर रहा था
मैंने सिग्नल पर एक पीसीआर आते देखी। दो पुलिस कर्मी एसयूवी की तरफ भागे और कार को
काबू किया।
यदि देश के सर्वाधिक
सुरक्षित शहरों में से माने जाने वाले शहर में औरतों को ऐसे हालात का सामना करना
पड़ता है, तो सोचने वाली बात है हम कहाँ जा रहे हैं?
लेडीज! अपनी सुरक्षा
के लिए ।।। बने। स्टे सेफ, लेडीज!
(नोट: यह अंग्रेजी
दैनिक 'दी ट्रिब्यून', चंडीगढ़ में छपी पीडिता की पोस्ट का हिंदी अनुवाद है। पीडिता
एक प्रशासनिक अधिकारी की बेटी हैं और आरोपी बीजेपी हरियाणा अध्यक्ष सुभाष बराला का
बेटा विकास और उसका आशीष नाम का दोस्त हैं। पुलिस ने दोनों को मौके से गिरफ्तार
किया और शाम को उन्हें ज़मानत पर रिहा किया गया।)
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