पिछले कुछ महीनों में
अलग-अलग मौकों पर कुछ एक्सीडेंटल रिपोर्टरों के साथ सफल इंटरव्यू के बाद पीएम (परम
मित्र और कोई नहीं) के कुछ गुप्त सलाहकारों की अति गोपनीय बैठक हुई, पर जैसाकि
आपके खादिम की आदत है, सौ-सौ जूते खायेंगे, तमाशा घुसकर देखेंगे, वहां भी घुसने में कामयाब रहा। पेश है बैठक की एक्सक्लूसिव
रिपोर्ट:
सलाहकार 'क' : पीएम बहुत
खुश हैं पिछले इंटरव्यू से।
सलाहकार 'ख' : क्यों न
होते? हमने सुनिश्चित किया था कि एक भी सवाल 'असुविधाजनक' नहीं होगा।
सलाहकार 'ग' : न सिर्फ
असुविधाजनक सवाल नहीं होगा, कोई काउंटर सवाल भी नहीं होगा।
सलाहकार 'घ' : बिलकुल अब
तो हमें सफल इंटरव्यू कराने की आदत सी हो गई है।
सलाहकार 'क' : (डांटते
हुए) सारा क्रेडिट पीएम को जाता है, वह पूरे इंटरव्यू में खुद को कैसे कंडक्ट करते
हैं। किस मौके पर मुस्कुराते हैं, किस मौके पर भावुक हो जाते हैं, किस मौके पर
उनकी आँख नम हो जाती हैं और किस मौके पर उनकी मुठ्ठियाँ भिंच जाती हैं... क्या हम
यह तय कर सकते हैं?
सलाहकार 'ख' : आपसे पूरी
तरह सहमत। हमारे पीएम का जवाब नहीं।
सलाहकार 'क' : (सहमति और
पीएम की तारीफ़ से उत्साहित) बिलकुल। साथियों यह स्टेज ड्रामा जैसा होता है। नाटक शुरू होने से पहले कलाकार को निर्देशक कितना भी समझाए और निर्देश दे पर एक बार कलाकार मंच पर पहुँच
गया तो कलाकार पर किसी का नियंत्रण नहीं होता। और हमारे पीएम को तो वास्तव में
किसी निर्देश की ज़रूरत ही नहीं। ही इज अ बॉर्न एक्टर।
सलाहकार 'घ' : ही इज अ
जीनियस...
सलाहकार 'क' : (जो
सलाहकार मण्डली का मुखिया था, ने सलाहकार 'घ' की बात काटते हुए कहा) अब मूल मुद्दे
पर आया जाए? (एक छोटे से पॉज के बाद) अब सफल इंटरव्यू के बाद देशद्रोहियों का दबाव
प्रेस कांफ्रेंस के लिए बढ़ता जा रहा है।
सलाहकार 'ग' : पर हम
देशद्रोहियों की परवाह क्यों करें?
सलाहकार 'क' : पॉलिटिक्स परसेप्शन
का खेल है। चार साल से यह कुप्रचार हो रहा है कि पीएम प्रेस कांफ्रेंस नहीं कर
सकते। हमें चुनाव से पहले इसे गलत साबित करके दिखाना है।
सलाहकार 'ख' : वह तो ठीक
है, पर प्रेस कांफ्रेंस में तो हमारे मन-मुताबिक सवाल-जवाब नहीं हो सकते न?
सलाहकार 'घ' : बिलकुल।
प्रेस का एक तबका तो है ही देशद्रोही। पिछले दिनों तो हमारे एक कार्यकर्ता तक ने पीएम
से फ़ालतू सवाल कर उन्हें मुश्किल में डाल दिया था और उन्हें पुदुचेरी को वणक्कम या
ऐसा कुछ कहना पड़ा था...
सलाहकार 'क' : वह महाठगबंधन
का एजेंट होगा।
सलाहकार 'ग' : पर यह है तो
हमारी चुनौती ही । अगर हम एक प्रेस कांफ्रेंस भी नहीं करा पाए तो हम अपनी सैलरी
कैसे जस्टिफाई करेंगे?
सलाहकार 'क' : मेरे दिमाग
में एक योजना है।
तीनों सलाहकार :
(उत्सुकता से) क्या?
सलाहकार 'क' : एक प्रेस कांफ्रेंस बुला लेते हैं। उसके लिए
दो सौ सवालों की एक सूची तय कर लेंगे। पीएम की प्रेस कांफ्रेंस में इतने तो जमा
हो ही जायेंगे। है न? तो सबके लिए एक-एक सवाल पर्ची पर लिखकर दे देंगे। उसके
साथ-साथ पर्ची पर सवाल का नंबर भी लिखा होगा।
सलाहकार 'ख' : यह ठीक
रहेगा। जवाब तो पहले से ही तैयार होंगे हमारे पास।
सलाहकार 'क' : (उसे बीच
में टोकना अच्छा नहीं लगा) वो तो होगा ही। आप आगे तो सुनिए...
सलाहकार 'घ' : (बात काटते
हुए) देशद्रोही पत्रकारों का क्या करेंगे?
सलाहकार 'क' : मैं वही
कहने जा रहा था। प्रेस कांफ्रेंस में सिर्फ लाभार्थी पत्रकारों को बुलाया जाएगा।
सलाहकार 'ग' : ब्रिलियंट
आईडिया!
सलाहकार 'क' : पत्रकारों
की स्क्रीनिंग के बाद ही उनको एंट्री दी जाएगी। पर सब कुछ गुप्त रूप से होगा।
सामने लगना चाहिए कि सबकुछ सामान्य हो रहा है।
सलाहकार 'घ' : बहुत
प्लानिंग करनी होगी। विदेशी पत्रकारों का क्या करेंगे? दुनिया के सबसे लोकप्रिय
पीएम की प्रेस कांफ्रेंस में उनकी भी तो दिलचस्पी होगी?
सलाहकार 'क' : आने तो
उन्हें भी देना पड़ेगा पर मेरी योजना है कि हम कुछ लाभार्थी पत्रकारों को तैयार
करेंगे कि विदेशी ही नहीं कोई देसी पत्रकार भी गड़बड़ सवाल करे तो हमारे हस्तक्षेप
करने से पहले वही उस पर टूट पड़ें।
सलाहकार 'घ' : बढ़िया। तो
तय रहा कल प्रेस कांफ्रेंस बुलवा लेते हैं।
सलाहकार 'क' : (घूरते
हुए) सब तुम्हीं तय कर लोगे? इसका फैसला पीएम करेंगे। हमें बस अपनी तरफ से तैयारी
रखनी है। ठीक है?
सबने मुंडी हिलाई और बैठक
समाप्त हो गयी।
(अब अगर निकट भविष्य में
प्रेस कांफ्रेंस होती है तो भूलियेगा मत सबसे पहले आपको आपके इस खादिम ने ही बताया
था। और हाँ, किसी भी अपडेट के लिए वाच दिस स्पेस।)
कोई नहीं जी #22 -महेश राजपूत
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