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Now, the murderer won't ever be able to sleep



That night nobody slept
Neither we, sitting at home
Nor mother, standing outside the ICU
We could not sleep after that night
Waiting for Papa to return
And, one day Papa returned
Wrapped in the same shroud
Which he had always kept with him passionately
And flowers on that shroud never allowed us to sleep
During those nights we were not alone awake
Chhatrapati was up with us
And constantly telling us
Don't ever go to sleep
Till I sleep in peace
He constantly told us
Don't ever go to sleep
Till the murderers are behind bars
Now, Papa is sleeping
And, the murderer is awake in the darkness of prison
Tonight, the murderer won't be able to sleep
Chhatrapati's shroud will become a noose and will keep him awake, frighten him, make him cry from his every slumber
Yes, the murderer won't be able to sleep...ever



(A poem by Shreyasi, daughter of slain journalist Ram Chander Chhatrapati)

(Translated by yours truly)

And here is the original in Hindi ↓↓

छत्रपति की बेटी श्रेयसी छ्त्रपति की कविता

*अब कातिल कभी सो नहीं पायेगा*

उस रात कोई नहीं सोया था
न घर में बैठे हम
न आईसीयू के बाहर चिंतित खड़ी मां
उस रात के बाद हम कई दिन नहीं सोये
पापा के घर लौटने के इंतज़ार में,
और फिर पापा लौट आये
उसी कफ़न में लिपटे हुए जो बड़े जूनून के साथ उन्होंने अपने साथ रखा था हमेशा और फिर उस कफ़न पर लिपटे फूलों ने कभी सोने नहीं दिया हमें
उन रातों में
हम ही नहीं जगे थे अकेले
छत्रपति भी जगे थे हमारे साथ
और कहते रहे
सो मत जाना
मेरे चैन से सो जाने तक
वह कहते रहे
सो मत जाना
कातिल के सलाखों में जाने तक अब पापा चैन से सो रहे हैं
और जेल के अँधेरे में जग रहा है कातिल आज रात कातिल सो नहीं पाएगा छत्रपति का कफ़न उसके गले का फंदा बन
हर झपकी से उसे अचानक
जगायेगा, डरायेगा, रुलाएगा ,

हाँ ! कातिल अब कभी सो नहीं पायेगा

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