आज अनारकली ऑफ आरा से मिलना हुआ। जैसे अनारकली को हीरामन न मिलता तो वह 'भीसी बाबू' को सबक ना सिखा पाती। वैसे ही अवि को मुक्ता न मिलती तो वह अनारकली न बना पाता। यह फ़िल्म जितनी अवि की है, उतनी ही मुक्ता और बिटिया सुर की भी है। अविनाश ने स्वरा और पंकज के साथ मिलकर 2 घंटे का बेजोड़ सांग जोड़ा है। जब गर्दा मुंबई में उड़ रहा है तो बिहार और यूपी में तो यकीनन आग लगी होगी। 'देसी तंदूर' यानि कि स्वरा को इस फिल्म के लिए लंबे समय तक याद किया जाएगा। पंकज त्रिपाठी के लिए क्या कहा जाए। यह शख़्स अभिनय करता नहीं बल्कि किरदार को जीता है। संजय मिश्रा एक सदाबहार अभिनेता हैं। यह उन्होंने फिर साबित किया है। फिल्म हंसाती-गुदगुदाती है तो रुलाती और आक्रोश भी पैदा करती है। यह फिल्म उन हज़ारों-हज़ार अनारकलियों की आज़ादी, आत्मसम्मान और स्वाभिमान की भी कहानी है, जो नाच-गाकर अपना गुज़र-बसर करती हैं। साफगोई से कहूं तो अविनाश फ़िल्म को बाकी फिल्मकारों की तरह थोड़ा और कमर्शियल टच दे सकता था। कथानक को देखते हुए उसके पास इसका भरपूर अवसर भी था। लेकिन संसाधनों की भारी कमी के बावजूद उसने ऐसा नहीं किया। क्यूँ नहीं किया इसका जवाब वही बेहतर दे सकता है। अनारकली आडंबर नहीं रचती बल्कि यथार्थ को भोगती है। न केवल एक पात्र
-गुलजार हुसैन प्रेमचंद का साहित्य और सिनेमा के विषय पर सोचते हुए मुझे वर्तमान फिल्म इंडस्ट्री के साहित्यिक रुझान और इससे जुड़ी उथल-पुथल को समझने की जरूरत अधिक महसूस होती है। यह किसी से छुपा नहीं है कि पूंजीवादी ताकतों का बहुत प्रभाव हिंदी सहित अन्य भाषाओं की फिल्मों पर है।...और मेरा तो यह मानना है की प्रेमचंदकालीन सिनेमा के दौर की तुलना में यह दौर अधिक भयावह है , लेकिन इसके बावजूद साहित्यिक कृतियों पर आधारित अच्छी फिल्में अब भी बन रही हैं। साहित्यिक कृतियों पर हिंदी भाषा में या फिर इससे इतर अन्य भारतीय भाषाओं में अच्छी फिल्में बन रही हैं , यह एक अलग विषय है लेकिन इतना तो तय है गंभीर साहित्यिक लेखन के लिए अब भी फिल्मी राहों में उतने ही कांटे बिछे हैं , जितने प्रेमचंद युग में थे। हां , स्थितियां बदली हैं और इतनी तो बदल ही गई हैं कि नई पीढ़ी अब स्थितियों को बखूबी समझने का प्रयास कर सके। प्रेमचंद जो उन दिनों देख पा रहे थे वही ' सच ' अब नई पीढ़ी खुली आंखों से देख पा रही है। तो मेरा मानना है कि साहित्यिक कृतियों या साहित्यकारों के योगदान की उपेक्षा हिंदी सिनेम
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