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नोटबैन अगेन...!




पिछले साल की पोस्ट-दीवाली रिलीज़ ब्लॉकबस्टर फिल्म 'नोटबैन' के निर्माताओं को इसकी सफलता भुनाने के लिए सीक्वल बनाने की सूझी सो उन्होंने फिल्म से जुड़े विभिन्न महत्वपूर्ण लोगों की एक बैठक बुलाई बैठक में मीडिया को प्रवेश नहीं दिया गया पर आपका खादिम किसी तरह बैठक की खबर निकाल लाया पेश है एक्सक्लूसिव रिपोर्ट:
बैठक की शुरुआत निर्माता, निर्देशक, पटकथा लेखक और नायक, जिसे सब प्रधानजी कहकर पुकारते हैं, ने की और कहा, "मैं बिना भूमिका बांधे आप लोगों से पूछना चाहूँगा कि सीक्वल का नाम क्या रखा जाए?
तुरंत कई प्रस्ताव आये जिनमें 'नोटबैन दोबारा', 'नोटबैन रिटर्न्स', 'फिर से नोटबैन' और 'नोटबैन अगेन' शामिल थे प्रधानजी को 'नोटबैन अगेन' पसंद आया और नाम तय कर लिया गया। फिर उन्होंने दूसरा सवाल दागा, 'फिल्म में कंटेंट क्या होगा?'
प्रधानजी के साथ हमेशा चाय के साथ केतली की तरह रहने वाले एसोसिएट डायरेक्टर यानी सह-निर्देशक ने कहा, "सर, पहला पार्ट सुपर-डुपर हिट होने के कारण लोगों की अपेक्षाएं बढ़ गयी हैं इसलिए इस बार और बड़ा धमाका करना पड़ेगा। मेरा सुझाव है कि इस बार सारे नोट और नोटों के साथ सिक्के भी बंद कर देते हैं।"
एक हाजरीन ने कहा, "यानी हंड्रेड परसेंट? गुड पर फिर बदले में कौन से नोट शुरू करेंगे?"
एसोसिएट : 10,000 और 20,000 के नोट शुरू करते हैं। जितना बड़ा नोट खर्च करना उतना ही मुश्किल। बोले तो लोगों की जेब में नोट आयेंगे तो जल्दी निकलेंगे नहीं और इस तरह उनकी जेब ज्यादा समय तक भारी रहेगी और वह खुश रहेंगे।
सबने ने तुरंत 'हाँ' में 'हाँ' मिलाई और कहा, "ब्रिलियंट आईडिया है।"
एक असिस्टेंट डायरेक्टर यानी एडी ने डरते-डरते कहा, "जान की माफ़ी पाऊं तो कुछ बोलूं"
प्रधानजी अच्छे मूड में थे, सो उन्होंने कहा,"बोलो!"
एडी ने कहा, "सर, नोटबैन का एक सीक्वल जीएसटी शीर्षक से हम बना चुके हैं..."
उसकी बात पूरी नहीं होने दी गयी और चीफ असिस्टेंट डायरेक्टर ने उसे डपटते हुए कहा, " 'जीएसटी' नोटबैन का सीक्वल नहीं था। वह हमारी फिल्म भी नहीं थी, भूल गए उसकी मूल पटकथा खांग्रेस की थी।  हमारे सर रमेश सिप्पी की तरह 'शोले' के बाद 'शान' नहीं बनाने वाले वह तो राजकुमार हिरानी की तरह 'मुन्नाभाई एमएमबीएस' के बाद 'लगे रहो मुन्नाभाई' बनायेंगे। समझे!"  
विवाद समाप्त होते देख अब तक चुप बैठे एग्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर ने कहा, "तो ठीक है, सबसे पहले इसकी पटकथा लिखनी होगी।
प्रधानजी ने अनुमोदन करते हुए पूछा,  "कौन लिखेगा?" 
चीफ एडी: सर, आपके रहते और कौन लिख सकता है?
प्रधानजी खुश हुए, उन्होंने दूसरा सवाल दागा, "निर्देशन कौन करेगा?
चीफ एडी: सर, आपके रहते और कौन निर्देशन कर सकता है?
प्रधानजी और भी खुश हुए और पुछा, "इसमें नायक कौन होगा?"
चीफ एडी : सर, आपके रहते और कौन हो सकता है?
प्रधानजी  की बांछे खिल गयीं और उन्होंने पूछा, "खलनायक कौन होगा?"
चीफ एडी : सर...
प्रधानजी (काटते हुए) :  अबके अगर बोला कि मेरे रहते और कौन हो सकता है तो गला दबा दूंगा।
चीफ एडी : मैं यह नहीं कहने जा रहा था। खलनायक तो हमारे सामने कई हैं, खांग्रेसी, वामी, आपिये, अनर्थशास्त्री...
गदगद प्रधानजी  ने कहा, "बस, बस तुम सही लाइन पर जा रहे हो तो तय रहा फिल्म तुरंत फ्लोर पर जायेगी ताकि हम इसे 'नोटबैन' की पहली बरसी आई मीन पहली जयंती तक तैयार कर रिलीज़ कर सकें।"
सबने एक साथ बोला, "योर विश इज आवर कमांड!"
चीफ  : गुड! मीटिंग इज ओवर ऊंदिया मंगाओ!
और इस तरह से बैठक ख़त्म हो गयी। फिलहाल के लिए इतना ही, निकट भविष्य में नोटबैन का सीक्वल देखने को मिले तो याद रखियेगा उसके बारे में सबसे पहले हमने आपको बताया था और हाँ, किसी भी अपडेट के लिए वाच दिस स्पेस! 

कोई नहीं जी!-5/महेश राजपूत          कार्टून साभार : इस्माइल लहरी 

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