(फोटो साभार : न्यूज़लांड्री)
शीर्षक पढ़कर आपके मन में कई सवाल उठ सकते हैं।
सवाल मेरे मन में भी उठे थे हदिया के बारे में एक खबर पढ़कर। कई सारे सवाल। पर कुछ
सवालों के जवाब मुझे मिले हैं, कुछ सवालों के जवाब नहीं मिले। जो भी है शेयर करना
चाहूँगा।
पहला सवाल जो शीर्षक से ही उठ रहा है, हदिया कहाँ
कैद है? हदिया भारत में, हमारे देश में कैद है। आप कहेंगे तो क्या वह किसी और देश
की है? नहीं, यह उसका भी देश है यानी वह अपने देश में ही कैद है। भारत में कहाँ?
केरल में। केरल में कहाँ क्या वह किसी जेल में कैद है और क्या उसने कोई गुनाह किया
है? गुनाह तो उसने किया है या नहीं यह तय होना बाकी है पर वह जेल में कैद नहीं है।
वह अपने माता-पिता के घर में कैद है। क्या वह छोटी से बच्ची है या नाबालिग है?
नहीं, उसकी उम्र 26 साल से कुछ ज्यादा ही है। वह बालिग़ है और होमियोपैथी की
डॉक्टर है यानी वह पढ़ी लिखी भी है। फिर उसे क्यों कैद करके रखा गया है? क्या वह
बीमार है? नहीं! क्या उसकी जान को खतरा है इसलिए उसे कैद करके रखा गया है? नहीं। वह
कब से कैद है? जी, चार महीने से ज्यादा हो गए, वह कैद है। उसे किसीसे मिलने भी
नहीं दिया जा रहा। पुलिस उसके घर के बाहर पहरे पर है। आखिर क्यों?
जो कुछ मीडिया में आ रहा है, उसके अनुसार हदिया
पहले हिन्दू हुआ करती थी। उसका नाम तब अखिला हुआ करता था। उसने धर्म परिवर्तन कर
लिया और फिर अपनी मर्ज़ी से एक मुस्लिम से शादी कर ली। ओहो! यानी यह 'लव जिहाद' का
मामला है? पर इसमें भी पेंच है। धर्म परिवर्तन उसने पहले किया था, तब वह अपने होने
वाले शौहर से मिली भी नहीं थी। तो खैर, उसने धर्म परिवर्तन किया। वह हदिया बन गयी
और यही उसका 'गुनाह' बन गया। जी हाँ, धर्म परिवर्तन करना ही उसका 'गुनाह' है। बताते
हैं उसके पिता नास्तिक हैं लेकिन माँ हिन्दू। जब हदिया ने शादी कर ली तो उसके
माता-पिता ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका अदालत में दाखिल की। उन्होंने आरोप लगाया
कि उनकी बेटी का जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया है ताकि उसे आतंकवादी बनाया जा सके।
हदिया ने अदालत में कहा कि उसने जो किया है, अपनी मर्ज़ी से किया है। लेकिन केरल
उच्च न्यायलय ने इसी साल 24 मई को अपने विशेषाधिकारों का इस्तेमाल करते हुए उसकी शादी
खारिज कर दी! अदालत ने हदिया को माता-पिता के हवाले करने का आदेश भी दिया।
हदिया के शौहर शफी जहाँ ने अदालत के इस फैसले को
सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर अपना फैसला तो
सुरक्षित रखा लेकिन राष्ट्रीय जांच एजंसी (एनआईए) को यह जांच करने का निर्देश दिया
कि यह शादी कहीं 'लव जिहाद' का हिस्सा तो नहीं। तो एनआईए, जो आतंकवाद के मामलों की
जांच करती है, को अब जांच करना है कि हदिया की शादी और धर्म परिवर्तन के पीछे कोई
बड़ी और सोची समझी साज़िश तो नहीं? कहीं हदिया को मुस्लिम बनाकर किसी आतंकवादी गिरोह
में शामिल कर उसे देश से बाहर ले जाने की योजना तो नहीं थी या किसी आतंकवादी
गतिविधि को अंजाम देने के लिए तैयार करने की योजना तो नहीं थी?
इसीलिए हदिया को कैद कर रखा गया है। उसके
माता-पिता के घर में। पुलिस चौबीसों घंटे उस घर के बाहर पहरे पर है। उसे किसीसे
मिलने नहीं दिया जा रहा। केरल महिला आयोग तक
ने हदिया से मिलने के लिए सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध करने का फैसला किया।
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का आरोप है कि हदिया को
कैद में टॉर्चर किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट में पिछली सुनवाई के दौरान राहत की
इतनी ही बात हुई कि सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया कि शादी रद्द करने के केरल उच्च
न्यायालय के फैसले की समीक्षा की जा सकती है। केरल उच्च न्यायालय के फैसले में कहा
गया था - "शादी ज़िन्दगी का इतना महत्वपूर्ण फैसला है कि इसे अभिभावकों को
इसमें शामिल किये बिना नहीं लिया जा सकता!"
सुप्रीम कोर्ट ने हदिया के पिता से भी कहा कि वह
अपनी बेटी की कस्टडी का दावा नहीं कर सकते क्योंकि वह बालिग़ है। अदालत ने कहा कि
या तो उन्हें 'लोको पैरेंटीस' (अभिभावक की कुछ जिम्मेवारियां निभाने वाले व्यक्ति
या संस्था के लिए कानूनी टर्म) नियुक्त करना होगा या उसे किसी कस्टोडियन के पास
भेजना पड़ेगा।
सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई कल (सोमवार, नौ
अक्तूबर को) है, हदिया के लिए दुआ
कीजियेगा!
-महेश राजपूत
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