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मुझको राजाजी माफ़ करना, गलती म्हारे से हो गयी!



(डिस्क्लेमर: यह किस्सा पूरी तरह कपोल कल्पित नहीं है यानी इसमें छटांग भर सच्चाई भी है और यह लेखक ऐसा कोई दावा नहीं करता कि इससे किसीकी भावनाएं आहत नहीं होंगी इसलिए आगे अपने रिस्क पर पढ़ें. बाद में मत कहना पहले वार्न नहीं किया था, धन्यवाद!)

मामला संगीन था, हाल में चोरी की एक बड़ी वारदात को अंजाम देने वाले एक चोर के साथ राजा की फोटू छापे में छप गयी थी! तरह-तरह की चर्चाएँ राज्य में हो रही थीं. जनता का एक वर्ग चोर से लगभग रश्क करते हुए इस तरह की बातें कर रहा था, "कितना बड़ा चोर है, दम है बंदे में! सीधे राजा तक पहुँच!", "अब काहे का डर जब सैयां भये राजाजी!" दूसरा वर्ग आपस में इस तरह की बात कर रहा था. "भला राजा को एक चोर के साथ फोटू खिंचवाने की क्या ज़रुरत थी? क्या सारे साधु-संत जेल में डाल दिए गए हैं क्या?"
गनीमत थी छापे में फोटू छपने की बात अभी राजा तक नहीं पहुंची थी. राजा के सलाहकारों की तो हालत खराब थी. सो, उन्होंने एक सीक्रेट मीटिंग बुलाई. मीटिंग का एजेंडा था कि राजा तक यह खबर कैसे पहुंचाई जाए कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे. इतना तो तय था कि आज तक जिसने भी कोई बुरी खबर राजा को सुनाई थी, उसकी गर्दन सलामत नहीं बची थी. तो सलाहकारों ने काफी देर गुप्त मंत्रणा के बाद तय किया कि राजा तक खबर तो पहुंचाई जायेगी लेकिन 'एक्शन टेकन रिपोर्ट' के साथ ताकि माफ़ी की कोई गुंजाइश रहे. अब एक्शन क्या हो इस पर चर्चा की गयी. काफी जद्दोजहद के बाद इस एक्शन प्लान पर सहमति बनी. एक, चोर जो फिलहाल दूसरे राज्य के टूर पर गया हुआ था, उसे अब इस राज्य में कदम न रखने दिया जाए. दूसरे, राज्य के जिस स्टोर रूम में चोरी का माल जमा किया जाता है उसमें से कुछ माल निकाल कर उस चोर के ठिकानों से जब्त बताया जाए ताकि राजा को भी और जनता को भी लगे कि कुछ तो रिकवरी हुई. तीसरे, उस फोटोग्राफर को जेल में बंद किया जाए और उस पर 'ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट' के तहत कारवाई की जाए. इस बिंदु पर कुछ सलाहकारों में थोड़ी असहमति थी इसलिए यहाँ उसे विस्तार से बताया जा रहा है. दरअसल, कुछ सलाहकारों का कहना था कि जब फोटो खिंचाने के लिए राजा-चोर राजी तो क्या करेगा फोटोग्राफर पाजी? फिर वह तो राज्य का ही नौकर था. लेकिन सलाहकारों के एक तबके ने इन लोगों को यह कहकर चुप करा दिया गया कि अगर फोटोग्राफर को बचाया गया तो सैकड़ों सलाहकारों की जान चली जायेगी. अब इतनी जानों के सामने एक जान की क्या कीमत? फिर, एक कड़ा मेसेज भी तो जाना चाहिए ताकि भविष्य में राज्य की नौकरी बजाने वाला कोई फोटोग्राफर किसीके साथ राजा की कोई फोटू खींचे तो फोटू में शामिल हर व्यक्ति की पूरी जन्म कुंडली छान कर सुनिश्चित करे कि सामने वाले ने कभी किसी ट्रैफिक नियम का भी उल्लंघन नहीं किया. आखिर यह राजा की रेपुटेशन का सवाल है. तो उक्त ऑब्जेक्शन ओवररूल्ड हो गया. एक्शन प्लान का चौथा बिंदु उस कंपनी को बंद करवा देना था जिसने वह कैमरा बनवाया था. इसके पीछे तर्क था कि टेक्नोलॉजी इतनी आगे बढ़ गयी है तो कंपनी ऐसा कैमरा क्यों नहीं बनाती जिसमें राजा के साथ किसी गलत काम करने वाले की फोटू खींचते समय उसमें से वार्निंग निकले. एक बात और मीटिंग में डिस्कस की गयी कि छापे पर भी कोई कार्रवाई की जाए. पर फिर इस सुझाव को इस आधार पर नकार दिया गया कि छापे की नीयत में तो कोई खोट नहीं था, वह तो राज्य के प्रचार विभाग से मिली तस्वीर छाप कर राजा को पब्लिसिटी ही दे रहा था. और फिर छापे का इस्तेमाल आगे भी तो सरकारी प्रचार के लिए करना है क्योंकि एक्शन टेकन रिपोर्ट के साथ कुछ क्लिपिंग्स भी तो लगानी होंगी! तो खैर, एक्शन प्लान बन गया और उसके अनुसार चंद घंटों में एक्शन ले भी लिया गया और एक्शन टेकन रिपोर्ट के साथ राजा के सामने खबर ले जाने का समय तय हो गया.
अब आखरी बात रह गयी थी, जब राजा को यह खबर सुनाई जाए तो उस समय राजा का मूड खराब नहीं होना चाहिये बल्कि इतना अच्छा होना चाहिए कि अगर राजा को खबर बुरी भी लगे तो वह लोग मामूली सज़ा पाकर छूट जाएँ. तो इसके लिए अपॉइंटमेंट के समय से ठीक पहले राजा के लिए एक सांस्कृतिक कार्यक्रम रखा गया जिसमें राज्य की कुछ सुंदर बालाओं ने "मुझको राजाजी माफ़ करना, गलती म्हारे से हो गयी!" टाइप के गाने पेश किये.
बाद में वही हुआ, जो सलाहकारों ने सोचा था. राजा ने खबर और एक्शन टेकन रिपोर्ट सुनी और इस चेतावनी के साथ सलाहकारों की जान की माफ़ी दे दी कि ऐसा दोबारा न हो!
सलाहकारों की फ़ौज चुपचाप वहां से निकल ली पर अधिकाँश सलाहकार अभी तक यह नहीं समझ पाए हैं कि दोबारा क्या न हो? चोरी न हो, राजा की चोर के साथ फोटू न खिंचने/छपने पाए या वह एक्शन न हो जो उन्होंने घटना पर रियेक्ट करते हुए लिया?   
# कोई नहीं जी/महेश राजपूत 

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